अनुलोम विलोम और कपालभाति दोनों ही प्राचीन प्राणायाम विधियां हैं, जिन्हें मानसिक शांति और शारीरिक एनर्जी को बढ़ाने के लिए किया जाता है।
अनुलोम विलोम और कपालभाति
कपालभाति के बाद अनुलोम विलोम करना चाहिए। कपालभाति से शरीर में ताजगी और ऊर्जा का संचार होता है, जबकि अनुलोम विलोम श्वास को नियंत्रित करके मानसिक शांति और शारीरिक संतुलन बनाए रखता है।
अनुलोम विलोम का अभ्यास
अनुलोम विलोम का अभ्यास करने से पहले अपने शरीर को हल्का और आरामदायक महसूस करने के लिए कुछ मिनटों के लिए गहरी सांसें लें। इससे शरीर में ऊर्जा का संचार होता है।
कपालभाति का अभ्यास
कपालभाति शुरू करने से पहले पेट की सफाई जरूरी है। अगर पेट भरा हुआ है, तो कपालभाति से आराम नहीं मिलेगा। इस प्राणायाम को खाली पेट ही करना चाहिए।
अनुलोम विलोम कैसे करें?
अनुलोम विलोम के अभ्यास के लिए सबसे पहले आराम से बैठें। अपनी रीढ़ को सीधा रखें। ध्यान केंद्रित करते हुए सांसों को गहरी और नियंत्रित करें, ताकि श्वास का प्रवाह सही दिशा में हो।
कपालभाति कैसे करें?
कपालभाति की शुरुआत में शरीर को पूरी तरह से आराम देने के बाद धीमी-धीमी सांसों से शुरू करें। धीरे-धीरे गति बढ़ाएं। लेकिन, ध्यान रखें कि आपकी श्वास पूरी तरह से नियंत्रित हो।
अनुलोम विलोम और कपालभाति में अंतर
अनुलोम विलोम में एक नथुने से सांस खींचना और दूसरे से छोड़ना होता है। यह शरीर और मन को शुद्ध करता है। कपालभाति में तेज सांस छोड़ने से शरीर के भीतर की गंदगी बाहर निकलती है।
मानसिक शांति
अगर आप दोनों प्राणायाम करने का मन बना रहे हैं, तो कपालभाति से शुरुआत करें। फिर अनुलोम विलोम करें। इस क्रम से मानसिक शांति और ऊर्जा दोनों ही मिलते हैं।
ध्यान रखें
दोनों प्राणायाम से पहले वातावरण शांत होना चाहिए। ध्यान रखें कि इनका अभ्यास किसी भी प्रकार की मानसिक या शारीरिक परेशानी के समय नहीं किया जाना चाहिए।
इन प्राणायामों को सुबह के समय खाली पेट करना चाहिए। प्राणायाम को सही समय और सही तरीके से करना जरूरी है। सेहत से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com