लैरिंजियल कैंसर को स्वरयंत्र का कैंसर भी कहा जाता है। यह गले के ऊपरी हिस्से में स्थित वॉयस बॉक्स (लैरिक्स) में विकसित होता है। इसके कारण गले और आवाज से जुड़ी समस्याएं पैदा होती हैं।
एक्सपर्ट की राय
नोएडा स्थित हीलिंग केयर ईएनटी क्लीनिक के ईएनटी स्पेशलिस्ट (एमबीबीएस एमएस) डॉ अंकुर गुप्ता बताते हैं कि लैरिंजियल कैंसर तब होता है, जब लैरिक्स की कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं।
लैरिंजियल कैंसर के कारण
लैरिंजियल कैंसर के कारणों में शराब, धूम्रपान और तंबाकू का ज्यादा सेवन शामिल है, जो कैंसर के खतरे को बढ़ाते हैं। इसके अलावा, पर्यावरण में मौजूद हानिकारक रसायन भी इसका कारण हैं।
लैरिंजियल कैंसर के लक्षण
इस कैंसर के लक्षणों में गले में दर्द, आवाज में बदलाव, खांसी और निगलने में परेशानी शामिल है। इन लक्षणों के दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
लैरिंजियल कैंसर की पहचान कैसे होती है?
लैरिंजियल कैंसर का निदान करने के लिए डॉक्टर बायोप्सी, सीटी स्कैन और अन्य टेस्ट्स की सलाह दे सकते हैं, जिससे कैंसर की पहचान की जाती है।
लैरिंजियल कैंसर का इलाज
लैरिंजियल कैंसर का इलाज सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी और इम्यूनोथेरेपी द्वारा किया जा सकता है। इलाज का तरीका मरीज की स्थिति पर निर्भर करता है।
कीमोथेरेपी
सर्जरी में कैंसरग्रस्त हिस्से को हटाने का प्रयास किया जाता है, जबकि कीमोथेरेपी कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए दवाइयों का उपयोग करती है।
रेडियोथेरेपी
रेडियोथेरेपी में उच्च-ऊर्जा विकिरण का उपयोग कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए किया जाता है, जो कैंसर के प्रारंभिक चरणों में प्रभावी होता है।
इम्यूनोथेरेपी
इम्यूनोथेरेपी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर कैंसर से लड़ने में मदद करती है, जिससे शरीर को कैंसर से मुकाबला करने की ताकत मिलती है।
लैरिंजियल कैंसर से बचने के लिए संतुलित आहार और एक्सरसाइज को लाइफस्टाइल में शामिल करें। कोई भी समस्या होने पर डॉक्टर से सलाह जरूर लें। सेहत से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com