हर्पीस एक वायरस के कारण होने वाला इंफेक्शन है, जो त्वचा पर फफोले और घाव बना सकता है। यह दो प्रकार का होता है—एचएसवी-1 और एचएसवी-2। यह संक्रमण शरीर में एक बार आने के बाद जीवनभर रह सकता है। ऐसे में आइए डॉक्टर सुगीता मुटरेजा से जानते हैं इसके कारण, लक्षण और वचाव के बारे में।
हर्पीस कैसे फैलता है?
एचएसवी-1 आमतौर पर मुंह या चेहरे के संपर्क से फैलता है, जैसे चुंबन या किसी संक्रमित व्यक्ति के साथ बर्तन साझा करना। वहीं, एचएसवी-2 मुख्य रूप से सेक्शुअल रिलेशन के जरिए फैलता है।
लक्षण कैसे दिखते हैं?
संक्रमण के कुछ दिनों बाद त्वचा पर छोटे-छोटे फफोले बनने लगते हैं, जिनमें जलन और खुजली होती है। इसके अलावा, बुखार, थकान और लसीका ग्रंथियों में सूजन भी हो सकती है।
कौन ज्यादा जोखिम में है?
जो लोग असुरक्षित सेक्शुअल रिलेशन बनाते हैं, कई सेक्शुअल पा्र्टनर के संपर्क में रहते हैं, या जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है, उन्हें इसका खतरा ज्यादा होता है।
कैसे करें बचाव?
संक्रमित व्यक्ति के साथ सीधा संपर्क न करें, किसी के साथ तौलिया, लिप बाम या खाने-पीने के सामान को साझा करने से बचें। सेक्शुअल रिलेशन बनाते समय सुरक्षा का ध्यान रखें।
इलाज संभव है या नहीं?
हर्पीस का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन कुछ दवाएं और घरेलू उपाय इसके लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं।
घरेलू उपचार जो मददगार हैं
एलोवेरा जेल लगाने से घाव जल्दी भरते हैं और जलन कम होती है। कॉर्नस्टार्च पाउडर फफोलों की सूजन कम करने में मददगार होता है।
जीवनशैली में बदलाव करें
इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए हेल्दी डाइट लें, पर्याप्त नींद लें और तनाव को कम करें। साफ-सफाई का ध्यान रखें ताकि संक्रमण और न फैले।
अगर बार-बार हर्पीस के लक्षण दिखें, तो डॉक्टर से परामर्श लें। जल्दी इलाज कराने से तकलीफ कम होती है और संक्रमण का असर कंट्रोल रहता है। स्वास्थ्य से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com