जब हम सोने के लिए लेटते हैं, चारों ओर शांति होती है। दिमाग को सोचने का खुला वक्त मिलता है और तभी बीती बातें लौट आती हैं। लेकिन ऐसा क्यों होता है? आइए PubMed की रिपोर्ट से समझते हैं।
दिनभर की भागदौड़ से आराम
दिन में हमारा दिमाग व्यस्त रहता है। पर जैसे ही सब शांत होता है, दिमाग अंदर की ओर मुड़ता है और दबी हुई यादें सतह पर आने लगती हैं।
यादों की सबसे पसंदीदा घड़ी
सोने से पहले का वक्त 'reflective mode' होता है। इस समय दिमाग बीते पलों को दोबारा सोचता है, चाहे वो खुशियां हों या पछतावे।
दिमाग की सफाई का समय
नींद से पहले हमारा दिमाग दिनभर की बातें छांटता है। इस दौरान अनसुलझी बातें या पुराने अनुभव दोबारा सामने आते हैं।
भावनाएं क्यों ज्यादा आती हैं सामने?
हमारी भावनाएं, खासकर दुख या प्यार से जुड़ी बातें, गहरी छाप छोड़ती हैं। यही कारण है कि रात को वही यादें सबसे पहले लौटती हैं।
क्या कहती है रिसर्च?
शोध बताते हैं कि सोने से पहले hippocampus नाम का दिमागी हिस्सा पुरानी यादों को फिर से एक्टिव करता है और उन्हें मजबूत बनाता है।
अधूरी बातें क्यों तंग करती हैं?
जो बातें हम दिन में नजरअंदाज करते हैं या अधूरी छोड़ देते हैं, वे रात को हमारे जहन में लौटकर closure की मांग करती हैं।
ये हमेशा बुरा नहीं होता
पुरानी यादें लौटना मानसिक सफाई (mental cleansing) की प्रक्रिया का हिस्सा है। इससे हम खुद को बेहतर समझ पाते हैं।
रात को सोने से पहले journal लिखना, ध्यान (meditation) करना या हल्की किताब पढ़ना मदद कर सकता है ताकि दिमाग ज्यादा उलझे नहीं। सेहत से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com