बारिश का मौसम आते ही आलस और नींद से क्यों घिर जाते हैं हम? आइए NIH की एक सट्डी से इसके पीछे का कारण जानते हैं।
मौसम और मूड का संबंध
मानसून में आसमान में बादल छा जाते हैं और धूप कम हो जाती है। सूरज की रोशनी मेलाटोनिन हार्मोन को कंट्रोल करती है। इसकी कमी से नींद आने लगती है।
कम रोशनी, ज्यादा मेलाटोनिन
मेलाटोनिन वह हार्मोन है जो शरीर को नींद का संकेत देता है। जब बाहर धूप नहीं होती, तो यह ज्यादा बनता है और शरीर को स्लीपी महसूस कराता है।
उमस से थकावट बढ़ती है
मानसून में नमी यानी ह्यूमिडिटी बढ़ जाती है। यह शरीर को भारी और सुस्त महसूस कराती है, जिससे शरीर को ज्यादा आराम की जरूरत लगती है।
तापमान में गिरावट
ठंडा मौसम भी नींद को बढ़ावा देता है। मानसून में जब तापमान गिरता है, तो दिमाग शरीर को ‘आराम करने’ का सिग्नल देता है।
बाहर जाने की मनाही
बारिश की वजह से बाहर टहलना या एक्सरसाइज़ करना कम हो जाता है। इससे शरीर में एक्टिवनेस कम होती है और नींद ज्यादा आती है।
मानसून का साउंड इफेक्ट
बारिश की आवाज एक नैचुरल वाइट नॉइज की तरह काम करती है। यह मन को शांत करती है और नींद को बढ़ावा देती है।
खानपान का भी असर
इस मौसम में तला-भुना और भारी खाना ज्यादा खाया जाता है। यह पाचन धीमा करता है और शरीर को सुस्ती में डाल देता है।
हल्का खाना खाएं, धूप मिलने पर बाहर जाएं और रोज थोड़ी एक्सरसाइज जरूर करें। इससे मानसून की नींद पर काबू पाया जा सकता है। सेहत से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com