बारिश के मौसम में रसोई में गैस पर खाना बनाना आम है, लेकिन इसके कुछ छुपे हुए नुकसान हो सकते हैं। आइए PubMed स्टडी से जानते हैं कैसे मानसून में यह आदत हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है।
नमी और गैस
मानसून में घरों में नमी ज्यादा होती है। इस मौसम में गैस स्टोव से निकलने वाली हानिकारक गैसें जैसे नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड हवा में ज्यादा देर तक बनी रहती हैं, जो सांस संबंधी समस्याएं बढ़ा सकती हैं।
बंद खिड़कियों में दम घुटने का खतरा
मानसून में बारिश से बचने के लिए हम दरवाजं-खिड़कियां बंद रखते हैं। ऐसे में गैस जलाने से निकलने वाले धुएं और गैसें बाहर नहीं जा पातीं, जिससे सिरदर्द, थकान और चक्कर आ सकते हैं।
अस्थमा और एलर्जी बढ़ने का खतरा
गैस स्टोव से निकलने वाला धुआं बच्चों और बुजुर्गों में अस्थमा और एलर्जी को बढ़ा सकता है। मानसून में यह असर और तेज हो जाता है क्योंकि हवा में पहले से ही नमी और फफूंद के कण होते हैं।
रसोई की हवा बनती है प्रदूषित
कई स्टडीज में पाया गया है कि गैस पर खाना पकाने से रसोई में हवा की क्वालिटी खराब हो जाती है। मानसून में जब वेंटिलेशन कम होता है, तब यह प्रदूषण शरीर पर और बुरा असर डाल सकता है।
फायर का खतरा भी बढ़ता है
मानसून में गैस पाइपलाइन या स्टोव पर नमी जमने से गैस लीक या चिंगारी लगने का खतरा भी बढ़ जाता है। खासकर जब सिलेंडर वाले चूल्हे इस्तेमाल हो रहे हों।
मानसून में गैस पाइपलाइन या स्टोव पर नमी जमने से गैस लीक या चिंगारी लगने का खतरा
हम बाहर के प्रदूषण से तो बचते हैं, लेकिन रसोई का धुआं और गैस भी इनडोर एयर पॉल्यूशन का बड़ा कारण है। मानसून में यह असर ज्यादा दिखता है क्योंकि घर में हवा कम घूमती है।
क्या हो सकता है समाधान?
रसोई में एग्जॉस्ट फैन चालू रखें। खिड़कियां थोड़ी खुली छोड़ें। इलेक्ट्रिक कुकर या इंडक्शन का इस्तेमाल करें, खासकर बारिश के मौसम में।
गैस पर खाना बनाना सुविधाजनक है, लेकिन मानसून में सावधानी बेहद जरूरी है। अगर आप सांस, त्वचा या सिरदर्द जैसी समस्या महसूस करें, तो समय रहते कदम उठाएं। सेहत से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com