आज की दुनिया में सोशल मीडिया हमारी जिंदगी का हिस्सा बन चुका है। लोगों का एक दिन सोशल मीडिया के नहीं गुजरता। ऐसे में आइए PubMed की रिपोर्ट से जानें, क्या सोशल मीडिया डिप्रेशन का कारण बनता है?
हर वक्त जुड़े रहना
जब हम बार-बार सोशल मीडिया चेक करते हैं, तो हमारा दिमाग लगातार एक्टिव रहता है। यह थकान और बेचैनी बढ़ा सकता है।
दूसरों से तुलना
लोग अक्सर सोशल मीडिया पर अपनी जिंदगी के अच्छे पल दिखाते हैं। इसे देखकर हम अपनी जिंदगी को कमतर समझने लगते हैं।
फोमो यानी 'कुछ छूट न जाए' का डर
हर नोटिफिकेशन, हर पोस्ट, हर ट्रेंड को फॉलो करने की चाह हमें चिंता और तनाव में डाल सकती है।
नींद पर असर
कई लोग देर रात तर सोशल मीडिया चलाते रहते हैं जिससे उनकी नींद खराब होती है। अगर भरपूर नींद न ली जाए तो यह डिप्रेशन का कारण बन सकता है।
ऑनलाइन लेकिन अकेले
भले ही हम ऑनलाइन लोगों से जुड़े होते हैं, लेकिन असल जिंदगी में अकेलापन महसूस कर सकते हैं। यह डिप्रेशन की शुरुआत हो सकती है।
किशोरों पर ज्यादा असर
अध्ययन बताते हैं कि युवा और किशोर सोशल मीडिया से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं, खासकर जब उन्हें लाइक्स या फॉलोअर्स कम मिलते हैं।
संतुलन जरूरी है
सोशल मीडिया पूरी तरह छोड़ना जरूरी नहीं, लेकिन उसका सीमित और समझदारी से इस्तेमाल करना जरूरी है।
अगर सोशल मीडिया इस्तेमाल के बाद आप उदासी, चिड़चिड़ापन या अकेलापन महसूस करते हैं, तो यह संकेत है कि आपको ब्रेक की जरूरत है। सेहत से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com