डायास्टोलिक ब्लड प्रेशर तब मापा जाता है जब दिल खून पंप करने के बाद आराम की स्थिति में होता है। यह आपकी धमनियों पर बनने वाले दबाव को दर्शाता है। अक्सर डायास्टोलिक ब्लड प्रेशर हाई रहता है, तो आइए कार्डियोलॉजिस्ट डॉ केके कपूर से जानें इसका कारण।
डायास्टोलिक बीपी बढ़ने का खतरा
अगर डायास्टोलिक बीपी ज्यादा रहता है, तो दिल पर ज्यादा दबाव पड़ता है, जिससे हार्ट अटैक, कार्डियक अरेस्ट और हार्ट फेलियर जैसे गंभीर रोग हो सकते हैं।
हाई डायास्टोलिक बीपी के कारण
खराब खानपान, मोटापा, तनाव, नींद की कमी, नॉनवेज और फास्ट फूड का ज्यादा सेवन डायास्टोलिक बीपी बढ़ाने में मुख्य भूमिका निभाते हैं।
अन्य कारण जो बीपी बढ़ाते हैं
अल्कोहल, स्मोकिंग, ड्रग्स, किडनी की बीमारी और आनुवांशिक कारण भी डायास्टोलिक ब्लड प्रेशर को बढ़ाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हैं।
डायास्टोलिक बीपी की सामान्य सीमा
सामान्य वयस्क का डायास्टोलिक ब्लड प्रेशर 60-80 mmHg होता है। इससे ऊपर की रीडिंग को हाई बीपी माना जाता है, जो गंभीर स्थिति की ओर संकेत करती है।
कैसा होना चाहिए खानपान?
सोडियम की मात्रा कम करें और पोटैशियम युक्त खाद्य पदार्थ ज्यादा लें। कैफीन, शुगर, और अल्कोहल से बचें। हेल्दी फैट्स को अपनी डाइट में शामिल करें।
जीवनशैली में बदलाव जरूरी
रोजाना एक्सरसाइज, योग और तनाव कम करने की तकनीक अपनाएं। पर्याप्त नींद लें और फास्ट फूड से बचें, ताकि ब्लड प्रेशर कंट्रोल रहे।
कब डॉक्टर से सलाह लें?
अगर डायास्टोलिक ब्लड प्रेशर लगातार हाई रहता है, तो बिना देरी के डॉक्टर से संपर्क करें। सही इलाज और सलाह से गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है।
संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, तनाव नियंत्रण और नशा बंद करके आप डायास्टोलिक ब्लड प्रेशर को कंट्रोल कर सकते हैं और स्वस्थ जीवन पा सकते हैं। सेहत से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com