एरिथमिया एक ऐसी बीमारी है, जिसमें दिल की धड़कन असामान्य हो जाती है। इस स्थिति में धड़कन बहुत तेज चलने लगती है या फिर बहुत धीमी, जिससे चक्कर, घबराहट या बेहोशी जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं।
एक्सपर्ट की राय
आइए, इसके बारे में नारायणा हॉस्पिटल, गुरुग्राम के कंसल्टेंट और कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सौरभ चोपड़ा से विस्तार से जानते हैं।
एरिथमिया बीमारी
जिन लोगों को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होती है, उनमें एरिथमिया होने का खतरा ज्यादा होता है। इससे दिल की दीवारें सख्त हो जाती हैं और इलेक्ट्रिकल सिग्नल में रुकावट आने लगती है।
दिल की धड़कन बढ़ना
शरीर में पोटैशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम जैसे जरूरी इलेक्ट्रोलाइट्स का संतुलन बिगड़ जाए, तो इससे दिल की धड़कन गड़बड़ाने लगती है और एरिथमिया की समस्या सामने आ सकती है।
हार्ट से जुड़ी बीमारियां
अगर किसी को पहले हार्ट अटैक, हार्ट फेलियर या कोरोनरी आर्टरी डिजीज जैसी बीमारियां हो चुकी हैं, तो उन्हें भी एरिथमिया का रिस्क ज्यादा होता है।
डायबिटीज के मरीज
डायबिटीज के मरीजों को एरिथमिया होने का जोखिम रहता है। खासकर, अगर ब्लड शुगर लगातार अनियंत्रित रहता है, तो इससे दिल के इलेक्ट्रिकल इंपल्स पर असर पड़ता है और धड़कन असमान्य हो सकती है।
एरिथमिया का खतरा
जो लोग ज्यादा मात्रा में शराब पीते हैं, धूम्रपान करते हैं या कैफीन और निकोटीन का ज्यादा सेवन करते हैं, उनमें भी दिल की धड़कन अनियमित होने की संभावना बढ़ जाती है।
दवाओं का सेवन
कुछ ओवर-द-काउंटर दवाइयां जैसे सर्दी-खांसी की गोलियां भी दिल पर असर डाल सकती हैं। इसलिए, इनका इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह के बिना करना एरिथमिया का खतरा बढ़ा सकता है।
एरिथमिया से बचाव के लिए हेल्दी डाइट, एक्सरसाइज और डॉक्टर की सलाह के अनुसार नियमित जांच कराना बेहद जरूरी है। सेहत से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com