जब हम डरते हैं तो शरीर अलर्ट हो जाता है। इस दौरान दिल की धड़कन तेज हो जाती है। आइए PubMed की एक रिपोर्ट से जानते हैं इसके पीछे की वजह।
जब हम डरते हैं तो शरीर अलर्ट हो जाता है। इस दौरान दिल की धड़कन तेज हो जाती है। आ
जी हां, डर लगने पर हार्ट बीट बढ़ना शरीर की सामान्य प्रक्रिया है। यह हमें संभावित खतरे से जल्दी प्रतिक्रिया देने के लिए तैयार करता है।
फाइट‑ऑर‑फ्लाइट क्या होता है?
डर के समय शरीर फाइट‑ऑर‑फ्लाइट मोड में आ जाता है। इसमें एड्रेनालाईन हार्मोन रिलीज होता है, जिससे दिल तेज धड़कने लगता है और शरीर सतर्क हो जाता है।
कब मानें कि ये सामान्य है?
अगर दिल की धड़कन डर खत्म होने के बाद कुछ मिनटों में सामान्य हो जाती है, तो यह कोई चिंता की बात नहीं है। यह केवल अल्पकालिक प्रतिक्रिया है।
कब हो सकती है परेशानी?
अगर हार्ट बीट बहुत तेज हो, लंबे समय तक बनी रहे, सांस फूलने लगे या चक्कर आए, तो यह सामान्य डर से ज्यादा हो सकता है और डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
शोध क्या कहता है?
PubMed में छपे शोध बताते हैं कि डर लगने पर हृदय गति में तेजी आना एक न्यूरोबायोलॉजिकल प्रक्रिया है, जो दिमाग और दिल के बीच संबंध को दर्शाती है।
तनाव से जुड़ी हार्ट बीट
कई रिसर्च में देखा गया कि जो लोग तनाव में थे, उनकी हार्ट बीट डर के दौरान और तेज हुई। इसका मतलब है, मानसिक स्थिति हार्ट रेट को प्रभावित करती है।
हार्ट रेट वेरिएबिलिटी में बदलाव
डर लगने पर न केवल धड़कन तेज होती है, बल्कि हार्ट रेट वेरिएबिलिटी भी घटती है। इससे पता चलता है कि शरीर खतरे को महसूस कर रहा है और सतर्क है।
अगर डर के समय धड़कन बढ़े और फिर सामान्य हो जाए, तो घबराएं नहीं। लेकिन बार-बार ऐसा हो और लक्षण बिगड़ें, तो डॉक्टर से संपर्क जरूर करें। सेहत से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com