पत्थरचट्टा को आयुर्वेद में किडनी और पेशाब से जुड़ी समस्याओं के इलाज में प्रभावी माना जाता है। यह मूत्र विकारों को दूर करने में मदद करता है।
इन रोगों में फायदेमंद
पत्थरचट्टा पथरी की समस्या से पीड़ित लोगों के लिए फायदेमंद माना जाता है। साथ ही, यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में भी मदद करता है।
आयुर्वेद के अनुसार
पत्थरचट्टा को आयुर्वेद में भष्मपथरी, पाषाणभेद और पणफुट्टी जैसे नामों से भी जाना जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि इसके इस्तेमाल से पेशाब से जुड़ी किन समस्याओं को दूर किया जा सकता है?
पेशाब में जलन
पेशाब में जलन की समस्या में पत्थरचट्टा का काढ़ा फायदेमंद होता है। इसके पत्तों को उबालकर सुबह सेवन करने से जलन में राहत मिलती है और समस्या दूर होती है।
यूरिन इंफेक्शन
आयुर्वेद में पत्थरचट्टा का इस्तेमाल हजारों सालों से पुरुषों में यूरिन इंफेक्शन के इलाज में किया जा रहा है। इसके पत्तों का रस सुबह नियमित रूप से पीने से इंफेक्शन दूर होता है।
यूटीआई की समस्या
यूटीआई (यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन) की समस्या में पत्थरचट्टा का इस्तेमाल फायदेमंद होता है। इसके ताजे पत्तों का काढ़ा पीने से यूटीआई की समस्या से राहत मिलती है।
वेजाइनल इंफेक्शन
वेजाइनल इंफेक्शन में पत्थरचट्टा का काढ़ा गुणकारी होता है। इसके नियमित सेवन से खुजली और जलन जैसी समस्याओं में राहत मिलती है। इसका सेवन शहद के साथ कर सकते है।
पेशाब रुक-रुककर आना
पेशाब रुक-रुककर आने की समस्या में पत्थरचट्टा का रस फायदेमंद होता है। रोजाना सुबह शहद के साथ इसका सेवन करने से यह समस्या दूर होती है और पेशाब सामान्य होता है।
योनिस्राव की समस्या
योनिस्राव की समस्या में पत्थरचट्टा का काढ़ा पी सकते हैं। वजाइनल डिस्चार्ज की वजह से वेजाइनल इंफेक्शन हो सकता है। पत्थरचट्टा योनि से डिस्चार्ज और इंफेक्शन की समस्या को दूर करता है।
पत्थरचट्टा का सेवन करने से पहले किसी डॉक्टर या आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लेना जरूरी है। इसका गलत तरीके से इस्तेमाल करने से नुकसान भी हो सकता है। सेहत से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com