शीशम को आयुर्वेद में एक औषधीय पेड़ माना गया है। इसके पत्तों में एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो शरीर की कई बीमारियों में लाभ देते हैं। आइए आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा से जानते हैं इसके अन्य लाभ।
सुजाक (गोनोरिया) में लाभकारी
शीशम के पत्ते सुजाक यानी गोनोरिया जैसी यौन संचारित बीमारी में उपयोगी माने जाते हैं। इनका सेवन इंफेक्शन को शांत करने और राहत देने में मदद करता है।
त्वचा रोगों के लिए फायदेमंद
शीशम के पत्तों का पेस्ट त्वचा पर लगाने से फोड़े, मुंहासे और फुंसियां दूर होती हैं। साथ ही यह त्वचा की रंगत को भी सुधारता है।
अर्थराइटिस के दर्द में आराम
जोड़ों के दर्द और सूजन में शीशम के पत्तों का काढ़ा पीने से राहत मिलती है। पत्तों का पेस्ट सीधे जोड़ों पर लगाना भी असरदार होता है।
चोट और घाव में राहत
चोट लगने या घाव होने पर शीशम के पत्तों का पेस्ट लगाने से दर्द कम होता है और घाव जल्दी भरता है। यह प्राकृतिक हीलिंग में मददगार है।
पेट की जलन करे शांत
अगर पेट में जलन हो रही हो, तो शीशम के पत्तों का रस या काढ़ा पीना बहुत लाभदायक होता है। यह पाचन को बेहतर बनाता है और ठंडक देता है।
इंफेक्शन से बचाव में मददगार
शीशम के पत्तों में मौजूद एंटी-बैक्टीरियल गुण शरीर को इंफेक्शन से बचाने में मदद करते हैं। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाने का काम करते हैं।
प्राकृतिक डिटॉक्स का माध्यम
शीशम का रस शरीर को अंदर से साफ करने यानी डिटॉक्स करने में मदद करता है। इससे शरीर हल्का महसूस होता है और त्वचा भी साफ दिखाई देती है।
शीशम के पत्तों को उबालकर या पीसकर उपयोग करें। सेवन से पहले डॉक्टर सलाह जरूर लें, ताकि सही मात्रा और तरीका पता चल सके। स्वास्थ्य से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com