आजकल की बदलती लाइफस्टाइल और बिगड़ते खानपान ने लोगों को अंदर से कमजोर बना दिया है, जिसकी वजह से बिना लक्षणों के भी शरीर में कई गंभीर बीमारियां पनपने लगती हैं।
एक्सपर्ट की राय
इस लेख में रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा बता रहे हैं कि आयुर्वेद के अनुसार कैसे पहचानें कि आप हेल्दी हैं या नहीं?
खराब खानपान
सोशल मीडिया पर अनहेल्दी खाने के ट्रेंड्स जैसे कोल्ड ड्रिंक में मैगी बनाना या मोमोज पर ढेर सारी चटनी डालना भले मजेदार लगते हैं। लेकिन, ये पाचन तंत्र को कमजोर करती हैं।
आयुर्वेद के अनुसार
आयुर्वेद के अनुसार अगर व्यक्ति की दिनचर्या ठीक हो और वो मौसम के अनुसार भोजन करे, तो उसका शरीर प्राकृतिक रूप से स्वस्थ बना रहता है।
शरीर के तीन दोष का संतुलन
अगर तीनों दोष- वात, पित्त और कफ संतुलित हों, तो व्यक्ति पूरी तरह से स्वस्थ माना जाता है। यह संतुलन आयुर्वेद का प्रमुख आधार है।
पाचन तंत्र मजबूत होना
पाचन तंत्र मजबूत होना बेहद जरूरी है। अगर पाचन की अग्नि संतुलित नहीं रहती, तो खाना ठीक से नहीं पचता और शरीर को जरूरी पोषण नहीं मिल पाता, जिससे कई तरह की समस्याएं होती हैं।
शरीर की सात धातुएं पोषित होना
शरीर की सातों धातुएं- रक्त, मांस, वसा, हड्डी, मज्जा, वीर्य और रस अगर सही तरीके से पोषित हो रही हैं, तो इसका मतलब है कि शरीर अंदर से मजबूत है और स्वस्थ बना हुआ है।
शरीर के संतुलन के संकेत
अगर व्यक्ति की मल, मूत्र और महिलाओं की मासिक धर्म क्रिया नियमित और बिना किसी रुकावट के हो रही है, तो ये इस बात का संकेत है कि शरीर संतुलन में है और कोई रोग नहीं है।
मानसिक और आत्मिक संतुलन
मानसिक और आत्मिक संतुलन भी बहुत जरूरी है। अगर इंसान का मन, आत्मा और इंद्रियां प्रसन्न और संतुष्ट हैं, तो वो व्यक्ति शारीरिक और मानसिक रूप से हेल्दी माना जाता है।
भारी भोजन से बचना
रात को खाना 7 से 8 बजे तक खा लेना और सोने से पहले भारी भोजन से बचना आयुर्वेद में जरूरी बताया गया है ताकि पाचन सही रहे और शरीर को पूरा आराम मिल सके।
आयुर्वेद का नियमित अभ्यास शरीर को सिर्फ बीमारियों से नहीं बचाता, बल्कि यह जीवनशैली को संतुलित करके अंदर से मजबूती देता है। सेहत से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com