डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों में चिरायता एक बेहतरीन प्राकृतिक उपचार है। इसकी कड़वाहट में सेहत का खजाना छुपा है। तो आइए आयुर्वेदाचार्य डॉ. एस के पांडेय से जानते हैं डेंगू-मलेरिया में चिरायता के फायदे और सेवन का तरीका।
चिरायता के औषधीय गुण
चिरायता में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुण होते हैं। यह शरीर को विषाणुओं से लड़ने में मदद करता है। डेंगू और मलेरिया के लक्षणों को कम करने में चिरायता प्रभावी है।
ऐसे बनाएं चिरायता का काढ़ा
चिरायता की कुछ टहनियों को रातभर पानी में भिगोकर रखें। सुबह खाली पेट इस पानी को छानकर पिएं। इसे लगातार 5-7 दिन सेवन करने से डेंगू-मलेरिया में काफी राहत मिलती है।
चिरायता चूर्ण से लाभ
2-3 ग्राम चिरायता चूर्ण में 1 चम्मच शहद मिलाकर सेवन करें। यह उपाय डेंगू-मलेरिया के बुखार में फायदेमंद साबित होता है और शरीर को जल्दी स्वस्थ करने में मदद करता है।
चिरायता के अन्य काढ़े का तरीका
चिरायता, गुडूची, नागरमोथा और पित्तपापड़ा को बराबर मात्रा में लें। पानी में उबालकर इसका काढ़ा बनाएं। इससे शरीर का तापमान नियंत्रित होता है और इम्युनिटी भी बढ़ती है।
चिरायता के फायदे
चिरायता में मौजूद प्राकृतिक तत्व शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। डेंगू या मलेरिया के बुखार में चिरायता का सेवन करने से बुखार तेजी से घटने लगता है और शरीर को राहत मिलती है।
प्लेटलेट्स बढ़ाने में मददगार
डेंगू के दौरान प्लेटलेट्स की संख्या तेजी से गिरती है। चिरायता का नियमित सेवन प्लेटलेट्स को बढ़ाने में मदद करता है, जिससे शरीर की स्थिति गंभीर होने से बचाई जा सकती है।
लीवर को मजबूत बनाता है
डेंगू और मलेरिया में लीवर पर असर पड़ता है। चिरायता लीवर की सफाई कर उसे मजबूती प्रदान करता है। इससे शरीर से विषैले तत्व निकलते हैं और लीवर की कार्यक्षमता बनी रहती है।
डेंगू-मलेरिया में घरेलू उपाय करने के साथ-साथ डॉक्टर की सलाह लेना अनिवार्य है। सेहत से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com