गर्मी आ गई है और दुनिया के कई इलाकों में पानी की समस्या शुरू हो गई है। पानी की कमी के कारण लोगों की जानें भी जा रही हैं। पिछले दिनों मराठवाड़ के लातूर जिले में नन्ही बच्ची पानी भरते-भरते मर गई। डॉक्टरों ने बच्ची की मौत का कारण डीप हीट स्ट्रोक को माना है। 11 साल की बच्ची रोजाना तपती धूप में पानी भरती थी। उसका घर हैंडपंप से 400 मीटर दूर था। वो रोज 10 से ज्यादा बार पानी भरने जाती थी। उस दिन गर्मी ज्यादा थी या धूप, मालुम नहीं। लेकिन बच्ची हीट स्ट्रोक की शिकार हुई और पानी की आस में परिवारजनों से हमेशा के लिए दूर हो गई है।
ये तो मराठवाड़ की इस बच्ची की कहानी है जो समाचारपत्रों में छपने के कारण लोगों के सामने आ गई। लेकिन दूर गांवों में रोज ऐसे ही तपती धूप में पानी भरने के कारण लोग मर रहे हैं। सबकी मौत का कारण एक ही है हीट स्ट्रोक।
हीट स्ट्रोक
साल दर साल नए रिकॉर्ड तोड़ रही गर्मी ने इस साल अप्रैल में ही तापमान 43 डिग्री सेल्सियस को पार कर लिया। ऐसे में बढ़ते तापमान और आ रही लोगों की मौत की खबरों के बीच जरूरी है कि आप भी हीट स्ट्रोक के खतरो को आब सामान्य तौर पर लेने के बजाय इसके खतरे को समझें और बचकर रहें।
इन इलाकों में है जल समस्या
जल समस्या देश के कई इलाकों में देखने को मिल रही है। महाराष्ट्र का मराठवाड़ के अलावा इसका उत्तरी इलाका जहां बीड, नांदेड, परभणी, जालना, औरंगाबाद, नासिक और सतारा सूखे की चपेट में है। दक्षिणी कर्नाटक के ग्रामीण इलाक पूरी तरह से सूख चुके हैं और वहां से दंगों की खबरें आ रही हैं। बारह महीने सदाबहार रहने वाले चेरापूंजी में भी पानी की समस्या सुनने को आ रही है। दिल्ली में पानी की समस्या तो गर्मी के शुरू होते ही शुरू हो जाती है।
जल समस्या
जल इंसानी जीवन का जरूरी अंग है। एक सामान्य इंसान को प्रतिदिन आठ ग्लास पानी पीने की जरूरत होती है। डेली इनटेक के अनुसार 18 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुषों को प्रति दिन 3.7 लीटर पानी पीना चाहिए और महिलाओं को 2.7 लीटर पानी पीना चाहिए। इसमें खाने और फलों में मौजूद पानी को भी शामिल किया गया है। लेकिन जब इतनी मात्रा में पानी नहीं मिल पाता तो शुरू होती है जल समस्या।
जैसे कि मराठवाड़ में पानी की समस्या को पूरा करने के लिए पानी की ट्रेन चलाई गई। दिल्ली के पश्चिमी इलाकों में पानी की बहुत भारी कमी है जिसको पूरा करने के लिए तीन दिन में एक टैंकर जाता है। उस पर भी उस टैंकर से प्रत्योक इंसान को पानी मिले इसकी कोई गारंटी नहीं। क्योंकि लोग कई हैं और पानी कम। इसी से शुरू होती है जल समस्या।
जल समस्या से निपटने के लिए ये करें
पानी का कम से कम इस्तेमाल करना जल-समस्या के निवारण का पहला कदम है। लेकिन बड़ा सवाल तो ये है कि पानी का कम इस्तेमाल कितना करें। क्योंकि लोगों के पास जब तीन दिन में पानी आएगा तो वे कम इस्तेमाल करेंगे ही। तो फिर कम इस्तेमाल कैसे?
- कम इस्तेमाल करने की बात उन लोगों के लिए है जिनके पास पानी की उचित व्यवस्था है।
- नदियों, तलाबों, हैंडपंप औदि जल स्रोतों को कम से कम प्रदूषित करें।
- दवाईयों का छिड़काव- रोग-जनक सूक्ष्म जीव पानी में मिलकर पानी को प्रदूषित करते हैं। जिससे वो इंसान के पीने लायक नहीं होता। इस पानी को पीने से पेट की बीमारियां होती हैं। इससे बचने के लिए जलस्रोतों में दवाईयों का छिड़काव करें।
- जल की जांच करें- कई बार स्वच्छ जल भी बीमार कर देते हैं। दरअसल जल में अनेक प्रकार के खनिज तत्व, कार्बनिक, अकार्बनिक पदार्थ और गैसें घुली होती हैं जो कई बार अधिक मात्रा में इकट्टी हो जाती हैं। जिससे पानी पीने लायक नहीं रहता।
- गंदगी का निपटान करें- घरों से निकले कचरे जैसे-नहाने, धोने, पोछा लगाने, सड़े फल, तरकारियों, साबुन और डिटर्जेंट आदि के कारण पानी प्रदुषित होता है।
- पानी बचाएं- पानी का कम से कम इस्तेमाल करें। बर्बाद बिल्कुल भी ना करें। साथ ही वर्षा के जल का संचयन करें।
- रेन हार्वेस्टिंग लगाएं- घर पर रेन हार्वेस्टिंग लगाएं औऱ वर्षा के जल का संचयन कर भूमिगत जल स्तर को बढ़ायें।
- छोटे-छोटे उपाय- अपने स्तर पर हर एक इंसान छोटे से छोटा उपाय भी पानी बचाने के लिए अपनाएं।
पानी की किल्लत में ये करें
- कम पानी पिएं।
- तला-भूना कम खाएं।
- अधिक से अधिक फल खाएं।
- नहाने के लिए ज्यादा पानी बर्बाद ना करें।
- कपड़ें धोने के पानी से ही घर को पोछें।
- अलग से घर धोने के लिए पानी का इस्तेमाल ना करें।
- धूप में कम से कम निकलें जिससे की कम प्यास लगे।
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