माई नेम इज खान में शाहरूख खान को थी ये बीमारी- जानें क्‍या है ये मानसिक विकार

आस्पेर्गर सिंड्रोम एक प्रकार की मानसिक विकृति है, जिसकी चपेट में बच्चे अधिक आते हैं, इस लेख में इस बीमारी के बारे में विस्तार से जानें।
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माई नेम इज खान में शाहरूख खान को थी ये बीमारी- जानें क्‍या है ये मानसिक विकार


कुछ बीमारियां इतनी सामान्य होती हैं कि उनकी पहचान नहीं हो पाती है और उस बीमारी से ग्रस्त इंसान का व्यवहार भी सामान्य होता है। ऐसी ही एक बीमारी है आस्पेर्गर सिंड्रोम। पिछले दिनों कंगना रनौत और रितिक रोशन के बीच हुए विवाद के बाद इस बीमारी की चर्चा थी। कंगना को भी यही बीमारी है। इस बीमारी पर बॉलीवुड औऱ हॉलीवुड में कई फिल्में भी बन चुकी हैं जिसमें सबसे प्रसिद्ध और लोकप्रिय फिल्म थी शाहरुख खान की माइ नेम इज खान। आइए इस लेख में इस दीमागी बीमारी के बारे में विस्तार से जानते हैं।

 

क्या है आस्पेर्गर सिंड्रोम

इस बीमारी से ग्रस्त इंसान में दो तरह की बातें बार-बार दिखती हैं। पहला वह दूसरों की तरह स्‍मार्ट है, लेकिन सामाजिक मुद्दों पर बहुत उलझन और मुसीबत में भी है। दूसरा वह एक विषय पर केंद्रित होकर बात करता है लेकिन उसकी हरकतों में दोहरावपन रहता है, यानी एक जैसा व्यवहार वह बार-बार करता रहता है। हालांकि यह कोई खतरनाक बीमारी नहीं है। 2013 में हुए शोध के बाद चिकित्सकों ने इसे ऑटिज्म स्प्रेक्ट्रम डिसऑर्डर यानी एएसडी का हिस्सा माना है।

क्या हैं इसके लक्षण

इस बीमारी से ग्रस्त इंसान नजरें मिलाकर बातें नहीं करता है, वह बात करते हुए थोड़ी उलझन में भी रहता है। सामान्य सी बातों पर बहस करना और छोटी-छोटी बातों पर उग्र हो जाना इस बीमारी के प्रमुख लक्षण हैं। इस बीमारी में इंसान भावनाशून्य हो जाता है, वह चुटकुलों पर हंसता नहीं और दूसरी बातों पर भी खुशी नहीं मिलती। इस बीमारी में इंसान का व्यवहार एक रोबोट की तरह हो जाता है, ऐसा लगता है कि उसका जीवन एकदम नीरस है। खानपान में भी कोई विशेष रुचि नहीं होती है।

 

कैसे होता है निदान

बड़ों की तुलना में यह बीमारी बच्चों को अधिक होती है। अगर उपरोक्त लक्षण आपको भी अपने बच्चों में दिखें तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें। इसके लिए एक या एक से अधिक चिकित्सकों के पास जाने की जरूरत पड़ सकती है। सामान्यतया इसका निदान मानसिक स्वास्य् विशेषज्ञ यानी न्यूरोलॉजिस्ट ही करता है। न्यूरोलॉजिस्ट लक्षणों के आधार पर इसका निदान करता है और मनोवैज्ञानिक बच्चे के व्यवहार और भावनाओं के आधार पर इसका निदान करता है। इसके लिए चिकित्सक आपसे आपके बच्चे के व्यवहार और उसकी गतिविधियों के बारे में पूछ सकता है।

 

कैसे होता है उपचार

आस्पर्गर सिंड्रोम के उपचार के लिए चिकित्सक थेरेपी का सहारा ले सकते हैं। थेरेपी के जरिये बच्चे का दिमागी विकास किया जाता है। इसके लिए सोशल स्किल ट्रेनिंग, स्पीच लैंग्वेज थेरेपी, कॉग्नीटिवि बीहैवियरल थेरेपी, पैरेंट एजूकेशन एंड ट्रेनिग आदि किया जाता है। इसके अलावा अगर स्थिति अगर सामान्य न हो तो चिकित्सक दवाओं का सहारा भी लेते हैं।

इन थेरेपी और दवाओं से उपचार के बाद बच्चा सामान्य व्यवहार करने लगता है और उसकी जिंदगी पटरी पर लौट आती है। इसलिए इस बीमारी के निदान होने के बाद घबरायें नहीं बल्कि अच्छे चिकित्सक से संपर्क कर इसका उपचार करायें।

 

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