कोलेस्ट्रॉल एक तरह का वसायुक्त तत्व है, जिसका उत्पादन लिवर करता है। यह कोशिकाओं की दीवारों, नर्वस सिस्टम के सुरक्षा कवच और हार्मोंस के निर्माण में अहम भूमिका निभाता है। ये 2 तरह का होता है, गुड कोलेस्ट्रॉल और बैड कोलेस्ट्रॉल। भोजन के साथ जो वसा हम लेते हैं, उन्हें परिवर्तित कर हमारा शरीर कोलेस्ट्रोल का निर्माण करता है। एलडीएल कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम करने के लिए हमें सीमित मात्रा में वसा का सेवन करना चाहिये। दिल के मरीज में अगर कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाए तो हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। इसलिये जरुरी है कि कोलेस्ट्रॉल के लेवल को हमेशा नियंत्रित रखा जाये खासकर जब आपके टेस्ट में इसका लेवल बहुत ज्यादा आया हो तो। ऐसे कई फल हैं जिनके सेवन से आप अपने शरीर का बैड कोलेस्ट्रॉल आसानी से घटा सकते हैं।
नाशपाती
नाशपाती में मौजूद पैक्टिन नामक पानी में घुलनशील फाइबर रक्त कोलेस्ट्रॉल और सेलूलोज के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करते है। इसलिए नाशपाती को अपने आहार में शामिल करें। साथ ही नाशपाती में हमारे शरीर के लिए जरूरी सभी प्रकार के प्राकृतिक विटामिन, मिनरल, एंजाइम पाये जाते हैं। इसके अलावा नाशपाती में एंटीऑक्सीडेंट भी पाये जाते है जो एलडीएल को कम करते है।
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नींबू का प्रयोग
नींबू सहित सभी खट्टे फलों में कुछ ऐसे घुलनशील फाइबर होते हैं, जो खाने की थैली में बैड कोलेस्ट्रॉल को रक्त प्रवाह में जाने से रोक देते हैं। ऐसे फलों में मौजूद विटामिन सी रक्तवाहिका नलियों की सफाई करता है। इस तरह बैड कोलेस्ट्रॉल पाचन तंत्र के जरिये शरीर से बाहर निकल जाता है। खट्टे फलों में ऐसे एंजाइम्स पाए जाते हैं, जो मेटाबॉलिज्म की प्रक्रिया को तेज करके कोलेस्ट्रॉल घटाने में सहायक होते हैं।
सेब है फायदेमंद
प्रोटीन और विटामिन से भरपूर सेब कोलेस्ट्रॉल घटा कर रक्तचाप को सामान्य बनाए रखता है इसलिए इसे सेहत का खजाना कहा जाता है। सेब में पेक्टिन के घुलनशील रेशे होते हैं, जो रक्त में कोलेस्ट्राल का स्तर घटाते हैं और शरीर के लिए बैक्टीरिया रोधी एजेंट की भूमिका निभाते हैं।
पपीता
पपीते में फाइबर, विटामिन सी और एंटी-ऑक्सीडेंट प्रचुर मात्रा में होता है जो आपकी रक्त-शिराओं में कोलेस्ट्रोल के थक्कों को बनने देता। कोलेस्ट्रोल के थक्के दिल का दौरा पड़ने और उच्च रक्तचाप समेत कई अन्य ह्रदय रोगों का कारण बन सकते हैं।
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टमाटर
टमाटर रक्तवाहिनियों में थक्का जमने से रोकता है। इससे हार्ट अटैक (हृदयाघात) एवं स्ट्रोक का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है। रक्तवाहिनियों में बनने वाला खून का थक्का रक्त के बहाव में रुकावट पैदा करता है जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा पैदा होता है। एस्पिरिन की अपेक्षा टमाटर के बीजों का रस इन बीमारियों की रोकथाम में ज्यादा कारगर साबित होता है।
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