कैंसर दुनियाभर में सबसे बड़ी बीमारी के रूप में उभर रहा है। मिलावटी खानपान और गलत आदतों के कारण पेट के हिस्से में कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसा ही एक कैंसर है, पैंक्रियाटिक कैंसर यानी अग्नाशय का कैंसर। पैंक्रियाज यानी अग्नाशय हमारे पेट का हिस्सा होता है। इसे पाचक ग्रंथि भी कहते हैं क्योंकि खाने के पचाने के लिए ये एक जरूरी ग्रंथि है। ऐसा देखा गया है लोगों की कुछ गलतियों के कारण उनमें पैंक्रियाटिक कैंसर का खतरा ज्यादा होता है। आइए आपको बताते हैं कौन सी आदतें पैंक्रियाज के कैंसर के लिए जिम्मेदार हैं।
ये 10 आदतें बढ़ाती हैं पैंक्रियाज (अग्नाशय) कैंसर का खतरा
- ज्यादा सिगरेट पीना
- मिलावटी आहार जैसे (मिलावटी तेल, मसाले) और केमिकलयुक्त (ज्यादा यूरिया, हानिकारक खाद) सब्जियों का सेवन
- हाई फैट वाले आहार (पिज्जा, बर्गर, फ्राईज, पूरियां, समोसे आदि) ज्यादा खाना
- फल और सब्जियों का सेवन बहुत कम करना
- ज्यादा एल्कोहल (शराब) पीने की आदत
- मोटापे का शिकार होना और वजन न घटाना
- एक्सरसाइज या मेहनत बिल्कुल न करना
- कोल्ड ड्रिंक्स और सोडा ड्रिंक्स ज्यादा पीना
- पेट में सूजन या दर्द को नजरअंदाज करना
- लिवर की समस्या होने पर अपनी आदतें न बदलना
क्या हैं पैंक्रियाटिक कैंसर के लक्षण
- भूख न लगना या बहुत कम खाना खाना
- कमजोरी महसूस होना
- बिना वजह वजन घटने लगना
- पेट के निचले हिस्से या बीच भाग में दर्द रहना।
- नसों में खून जम जाना
- पीलिया हो जाना और त्वचा और आंखों में पीलापन दिखना
- पेशाब का रंग पीला गाढ़ा पीला लगना
- डिप्रेशन में चले जाना
- जी मिचलाना और उल्टियां होना।
कैसे करें पैंक्रियाटिक कैंसर की जांच
पैंक्रियाटिक कैंसर के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर रोग की जांच के लिए सीटी स्कैन या एमआरआई करवा सकते हैं, जिससे पेट में दर्द और अन्य समस्याओं का कारण पता लगाया जा सके। इसके अलावा कैंसर की आशंका होने पर चिकित्सक एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड, बायोप्सी या टिशू सैंपल आदि टेस्ट भी कर सकते हैं। ब्लड टेस्ट के द्वारा भी खून में CA 19-9 की मौजूदगी से शरीर में ट्यूमर का पता लगाया जा सकता है।
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