जानें आखिर क्यों चिकनगुनिया को माना जाता है खतरनाक बीमारी, इससे बचाव के टिप्स

चिकनगुनिया बुखार के लिए बहुत ज्यादा असरकारक दवाइयां बाजा़र में नहीं हैं। लेकिन कुछ उपाय अपनाकर चिकनगुनिया की रोकथाम के प्रयास किए जा सकते हैं।
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जानें आखिर क्यों चिकनगुनिया को माना जाता है खतरनाक बीमारी, इससे बचाव के टिप्स


चिकनगुनिया बुखार के शरीर में फैलने से भारी मात्रा में पोटेशियम का स्राव होता है। इससे प्लेटलेट्स की संख्‍या तेजी से कम होने लगती है। चिकुनगुनिया बुखार में मच्छर के काटते ही दो-तीन दिन में प्लेटलेट्स 20 से 30 हजार तक पहुंच जाती हैं। उसके बाद धीरे-धीरे बढ़ने लगती हैं। लेकिन कई बार कमजोरी होने से प्लेटलेट्स बढ़ने में समय लग जाता है जिससे जान का खतरा भी बढ़ जाता है।

चिकनगुनिया बुखार का  असर दिल पर भी पड़ता है। रोगी का रक्‍तचाप भी कम हो जाता है। शरीर में प्रोटीन की कमी होने से किडनी पर भी बुरा असर पड़ता है। इसी के साथ ही कई तरह के इंफेक्शन जैसे निमोनिया, बैक्टिरिया आदि होने से जान का भी खतरा बना रहता है।

चिकुनगुनिया का उपचार

कुछ बातों का ध्यान रखकर चिकनगुनिया को फैलने से रोका जा सकता है। जानकार बताते हैं कि अगर आपका आहार सेहतमंद हो तो आप इस बीमारी के प्रभाव को काफी कम कर सकते हैं। इसके साथ ही अन्‍य कई तरीके हैं जिनके जरिये इस बीमारी से लड़ा जा सकता है।

ऐलोपैथी से चिकुनगुनिया का उपचार

चिकनगुनिया का कोई इलाज मौजूद नहीं है। इस पद्धति में जो भी इलाज है वह बुखार और चिकनगुनिया के लक्षणों पर असर करता है। डॉक्‍टर जोड़ों में होने वाले दर्द को कम करने के लिए दर्दनिवारक दवाओं का सेवन करने की ही सलाह देते हैं। साथ ही वे विटामिन की भी गोलियां देते हैं ताकि बीमारी से होने वाले नुकसान को सीमित किया जा सके।

आयुर्वेद से चिकुनगुनिया का उपचार

इस बीमारी के लक्षण आयुर्वेद में वर्णित संधि-ज्‍वर से काफी मिलते जुलते हैं। और इसी आधार पर इस रोग का आयुर्वेदिक निदान किया जाता है। अर्जुन छाल भी इस वायरल में देनी चाहिए। हल्दी, आंवला, लहसुन आदि के पाउडर भी देने चाहिए। विजय सार नामक जड़ी बूटी इस बुखार को कम करने में काफी प्रभावी होती है। तुलसी, अंगूर, गाजर भी इस वायरल से निजात दिलाने में लाभदायक है।

होम्योपैथीसे चिकुनगुनिया का उपचार:
चिकनगुनिया बुखार की काट करने की क्षमता होम्यो पैथिक में अधिक मानी जा रही है। होम्योपैथिक दवाइयों की मदद से इस वायरल से जल्दीष उभरा जा सकता है। होम्योपैथिक डॉक्टर शर्मीली राज का कहना है कि चिकनगुनिया के रोगियों के लक्षण अलग-अलग होते हें उसी आधार पर उन्हें दवाईयां दी जाती हैं।

चिकनगुनिया बुखार के असर को जल्द से जल्द कम करने के लिए डॉक्टर की सलाह पर जरूर अमल करें।

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