हायपरएक्यूसिस एक श्रवण (सुनने की) समस्या है जिसमें व्यक्ति को सामान्य आवाजें भी बहुत तेज, चुभती हुई या असहनीय लगने लगती हैं। यह स्थिति दिमाग की ध्वनि को प्रोसेस करने की क्षमता में बदलाव के कारण होती है। आइए मणिपाल अस्पताल (कोलकाता) के डॉक्टर अर्पण चौधरी से जानते हैं हायपरएक्यूसिस रोग से जुड़ी सारी बातें।
आवाज से असहजता क्यों होती है?
हायपरएक्यूसिस से पीड़ित व्यक्ति को बर्तन की आवाज, बातचीत, दरवाजा बंद करने जैसी सामान्य आवाजें भी असहज और चुभती हुई लगती हैं, जिससे वह खुद को दूसरों से अलग करने लगता है।
किन्हें हो सकता है हायपरएक्यूसिस?
यह दुर्लभ लेकिन गंभीर स्थिति है, जो बच्चों और बड़ों दोनों में हो सकती है। यह मानसिक स्थिति, इम्यून सिस्टम, न्यूरोलॉजिकल या शारीरिक कारणों से भी जुड़ी हो सकती है।
डिप्रेशन से संबंध
डिप्रेशन हायपरएक्यूसिस का आम कारण है। यह मानसिक असंतुलन व्यक्ति को अधिक संवेदनशील बनाता है, जिससे सामान्य ध्वनियां भी बर्दाश्त नहीं होतीं और चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है।
क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम का असर
हर समय थकान महसूस होना और आराम के बाद भी ऊर्जाहीन लगना, हायपरएक्यूसिस से जुड़ा संकेत हो सकता है। यह स्थिति शरीर और मस्तिष्क को कमजोर कर देती है।
लाइम डिजीज और अन्य कारण
लाइम डिजीज, मेनिएर्स डिजीज, PTSD, ऑटिज्म और सिर में चोट जैसे कई कारण इस समस्या को जन्म दे सकते हैं। तेज आवाजों के लगातार संपर्क में रहना भी जोखिम बढ़ाता है।
हायपरएक्यूसिस के लक्षण
बातचीत, टीवी, या गाड़ियों की आवाज से असहजता, अकेले रहने की इच्छा, चिड़चिड़ापन और सामाजिक दूरी- ये इसके प्रमुख लक्षण हैं। इन संकेतों को हल्के में न लें।
इसका इलाज कैसे किया जाता है?
हायपरएक्यूसिस के लिए कोई दवा या ऑपरेशन नहीं होता। इसके इलाज में साउंड थेरेपी, बिहेवियरल थेरेपी और काउंसलिंग की जाती है ताकि मरीज धीरे-धीरे सामान्य आवाजों को स्वीकार कर सके।
अगर आपको सामान्य आवाजें परेशान करने लगी हैं, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें। शुरुआती पहचान और सही थेरेपी से इस समस्या को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। सेहत से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com