टीबी केवल फेफड़ों तक सीमित नहीं होती। यह पेट सहित शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकती है। पेट की टीबी को गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल टीबी कहते हैं। आइए सीनियर फिजीशियन डॉ समीर से जानते हैं इसके लक्षणों के बारे में।
एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी
जब टीबी फेफड़ों के बाहर फैलती है, तो उसे एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी कहते हैं। पेट की टीबी इसी श्रेणी में आती है और इसे गंभीरता से लेना जरूरी है।
पेट में टीबी कैसे फैलती है?
माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस बैक्टीरिया खांसने, थूकने या संक्रमित व्यक्ति के संपर्क से फैलता है। यह आंतों और पेट की परतों को संक्रमित कर सकता है।
इंफेक्शन के कारण
पेट की टीबी फेफड़ों की टीबी से जुड़ी हो सकती है या दूषित भोजन और कमजोर इम्यून सिस्टम के कारण भी हो सकती है। यह अक्सर नजरअंदाज की जाती है।
पेट की टीबी के लक्षण
भूख न लगना, बार-बार दस्त, उल्टी, वजन घटना, पेट दर्द और मल में खून आना पेट की टीबी के आम लक्षण हैं। इन्हें हल्के में न लें।
जांच कैसे होती है?
पेट की टीबी की जांच मोंटेक्स टेस्ट, ईएसआर, एंडोस्कोपी और बायोप्सी द्वारा होती है। अल्ट्रासाउंड इसमें मददगार नहीं होता। सही जांच से ही इलाज संभव है।
इलाज कितना लंबा चलता है?
टीबी का इलाज लंबा होता है। आमतौर पर 6 से 9 महीने तक एंटीबायोटिक्स और अन्य दवाएं दी जाती हैं। समय पर दवा लेना बेहद जरूरी है।
समय पर इलाज क्यों जरूरी?
पेट की टीबी का समय पर इलाज न हो तो इंफेक्शन फैल सकता है। इससे आंतों में रुकावट, परफोरेशन जैसी जटिल समस्याएं हो सकती हैं, जो जानलेवा हैं।
अगर पेट में लगातार परेशानी हो रही है और टीबी जैसे लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से जांच कराएं। स्वास्थ्य से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com