बच्चेदानी निकालने की सर्जरी को हिस्टेरेक्टॉमी कहा जाता है, जो महिलाओं की कुछ गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं जैसे संक्रमण, गांठ या कैंसर के खतरे को रोकने के लिए की जाती है।
एक्सपर्ट की राय
फातिमा अस्पताल, लखनऊ की सीनियर गायनाकोलॉजिस्ट डॉ. बिंदिया खेरा के अनुसार, हिस्टेरेक्टॉमी एक सर्जरी है जिसमें महिलाओं के शरीर से गर्भाशय (यूटरस) को निकाला जाता है ताकि किसी गंभीर संक्रमण से बचा जा सके।
मेनोपॉज के लक्षण
यह सर्जरी आमतौर पर 40 की उम्र के बाद की जाती है, जब महिलाओं में रजोनिवृत्ति (menopause) के लक्षण शुरू होते हैं और शरीर में हार्मोनल बदलाव देखने को मिलते हैं।
हिस्टेरेक्टॉमी
हिस्टेरेक्टॉमी के बाद शुरुआती कुछ हफ्तों में तेज दर्द, ब्लीडिंग, थकान, मूड स्विंग्स और कब्ज जैसी समस्याएं आम तौर पर देखी जाती हैं।
ब्लड सप्लाई प्रभावित होना
अगर ओवरी को नहीं निकाला गया हो, तब भी सर्जरी से अंडाशयों की ब्लड सप्लाई प्रभावित होती है जिससे मेनोपॉज जल्दी आ सकता है।
एस्ट्रोजन की कमी
अगर ओवरी भी निकाल दी जाए, तो शरीर में एस्ट्रोजन की कमी के कारण मेनोपॉज के लक्षण तुरंत दिखने लगते हैं जैसे गर्मी लगना, नींद की कमी, बाल झड़ना और वजन बढ़ना।
हड्डियां कमजोर होना
कुछ महिलाओं में हिस्टेरेक्टॉमी के बाद हड्डियों की कमजोरी, हृदय गति तेज होना और बाल झड़ने जैसी समस्याएं लम्बे समय तक रह सकती हैं।
हार्मोनल असंतुलन
शरीर में हार्मोनल असंतुलन के कारण चिड़चिड़ापन, तनाव, मूड स्विंग्स और अचानक पसीना आना जैसी मानसिक और शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं।
सर्जरी के बाद ध्यान रखें
सर्जरी के बाद कम से कम 6 हफ्तों तक भारी वजन उठाना, गाड़ी चलाना, शारीरिक संबंध बनाना और झुकने जैसे काम करने से बचना चाहिए।
डॉक्टर की सलाह के अनुसार कई बार हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी दी जाती है ताकि मेनोपॉज के लक्षणों को कम किया जा सके। सेहत से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com