एसोफैगल कैंसर खाने की नली में होता है, जो आपके गले से पेट तक भोजन पहुँचाने का काम करती है और जब इसमें कैंसर हो जाए तो निगलने में दिक्कत और दर्द जैसी समस्याएं शुरू हो जाती हैं।
एसोफैगल कैंसर
इस कैंसर की शुरुआत आमतौर पर एसोफेगस की अंदरूनी परत की कोशिकाओं में होती है। यह धीरे-धीरे आसपास के ऊतकों और अंगों तक फैल सकता है अगर समय पर इलाज न किया जाए।
एसोफैगल कैंसर के प्रकार
एसोफैगल कैंसर के दो मुख्य प्रकार होते हैं- स्क्वामस सेल कार्सिनोमा और एडेनोकार्सिनोमा, जो खाने की नली की अलग-अलग कोशिकाओं में शुरू होते हैं और अलग लक्षणों के साथ सामने आते हैं।
स्क्वामस सेल कार्सिनोमा
स्क्वामस सेल कार्सिनोमा खाने की नली की ऊपरी परत की कोशिकाओं में होता है, जबकि एडेनोकार्सिनोमा नीचे वाले हिस्से में होता है जहां यह पेट से जुड़ती है और अक्सर बैरेट्स एसोफेगस से जुड़ा होता है।
एसोफैगल कैंसर के लक्षण
इसके शुरुआती लक्षणों में निगलने में परेशानी, बिना कोशिश के वजन घटना, सीने में जलन या दर्द, लगातार खांसी और खाने के दौरान सांस की दिक्कत शामिल होती हैं जो धीरे-धीरे बढ़ती जाती हैं।
एसोफैगल कैंसर का संकेत
कुछ लोगों को खाना खाते समय ऐसा लगता है जैसे कुछ गले में अटक रहा हो या सांस लेने में तकलीफ हो रही हो, जो एसोफैगल कैंसर का संकेत हो सकता है। इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
पेट में एसिड बनना
एसोफैगल कैंसर का खतरा उन लोगों में ज्यादा होता है जिन्हें लंबे समय से एसिडिटी, जीईआरडी या बैरेट्स एसोफेगस की समस्या रहती है। पेट का एसिड नली को नुकसान पहुंचाता है।
समय पर जांच कराएं
यह कैंसर पुरुषों में महिलाओं की तुलना में ज्यादा पाया जाता है। खासकर, 50 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों में इसका खतरा ज्यादा होता है। इसलिए, समय पर जांच कराना जरूरी है।
अगर आपको लंबे समय से निगलने में परेशानी, सीने में जलन या खांसी की शिकायत है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। सेहत से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com