जब कोई व्यक्ति एक मिनट में सामान्य से ज्यादा बार सांस लेता है तो उसे हांफना कहते हैं। यह खुद कोई बीमारी नहीं बल्कि किसी बीमारी का संकेत हो सकता है। आइए डॉ. राजीव सरदाना से जानते हैं इसके कारण और इलाज के बारे में।
फेफड़ों की बीमारी
क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) में फेफड़े कमजोर हो जाते हैं। ब्रोंकाइटिस और एंफिसेमा जैसी स्थितियों में सांस लेने में तकलीफ होती है और व्यक्ति हांफने लगता है।
अस्थमा
अस्थमा के कारण जब सांस की नली में सूजन आती है, तो व्यक्ति तेजी से सांस लेता है। यह हांफने का एक आम और गंभीर कारण हो सकता है।
पानी की कमी
शरीर में पानी की कमी से सेल्स ठीक से काम नहीं कर पातीं। इससे ऊर्जा की कमी होती है और व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत होती है यानी वह हांफता है।
पैनिक अटैक
पैनिक अटैक के दौरान व्यक्ति को घबराहट, डर और बेचैनी महसूस होती है। इस दौरान तेज सांस लेने की प्रवृत्ति बढ़ती है और व्यक्ति हांफने लगता है।
अन्य गंभीर कारण
पल्मोनरी एंबॉलिज्म में फेफड़ों में खून का थक्का जमता है। डायबिटिक कीटोएसिडोसिस में केटोन बनते हैं। दोनों स्थितियों में हांफना गंभीर रूप से उभर सकता है।
लक्षण क्या हैं?
गले में जलन, आंखों में पानी, चक्कर आना, सांस में आवाज, दिल की तेज धड़कन और शरीर के तापमान में बदलाव हांफने के आम लक्षणों में शामिल होते हैं।
कब हो सतर्क?
अगर छाती में दर्द, सांस रुकना, होठों और नाखूनों का नीला पड़ना, लगातार हांफना या बुखार हो, तो स्थिति गंभीर हो सकती है। तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
प्राणायाम करें, नियमित व्यायाम करें, स्मोकिंग और अल्कोहल से बचें। पानी पिएं और मानसिक तनाव दूर रखें। सही समय पर जांच और इलाज से हांफना रोका जा सकता है। सेहत से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com