डायबिटीज सिर्फ ब्लड शुगर की समस्या नहीं है, यह त्वचा के रंग और बनावट को भी प्रभावित कर सकती है। जानिए इसके पीछे के कारण। आइए डॉ भरत अग्रवाल से जानते हैं इसके बारे में।
इंसुलिन रेजिस्टेंस का असर
टाइप 2 डायबिटीज में इंसुलिन रेजिस्टेंस से त्वचा गहरी और मोटी हो जाती है, खासकर गर्दन, कांख और कोहनियों पर। इसे एक्रंथोसिस निग्रिकांस कहते हैं।
डायबिटिक ब्लिस्टर्स (छाले)
डायबिटिक न्यूरोपैथी से प्रभावित लोगों में पानी भरे छाले हो सकते हैं। इनसे त्वचा पर रंग बदल सकता है और इंफेक्शन का खतरा बढ़ता है।
डायबिटिक डर्मोपैथी
इसमें पैरों पर भूरे या लाल धब्बे बनते हैं। इन्हें 'शिन स्पॉट्स' भी कहा जाता है और ये ब्लड सर्कुलेशन की समस्या दर्शाते हैं।
येलो और पेल स्किन
डायबिटीज से ब्लड सर्कुलेशन में कमी होती है, जिससे त्वचा पीली या हल्की दिख सकती है। यह त्वचा की कोशिकाओं के कमजोर होने का संकेत हो सकता है।
नेक्रोबायोसिस लिपोइडिका
यह एक दुर्लभ स्थिति है जिसमें त्वचा पतली हो जाती है और उस पर लाल-भूरे धब्बे दिखते हैं। यह भी ब्लड सर्कुलेशन की खराबी से जुड़ा है।
स्किन डिकलरेशन के कारण
इंसुलिन का सही उपयोग न होने, हाई ब्लड शुगर, हार्मोन असंतुलन और संक्रमण के कारण त्वचा की पिगमेंटेशन और रंग में बदलाव होता है।
बचाव और देखभाल
ब्लड शुगर नियमित जांचें, हेल्दी डाइट लें, व्यायाम करें और त्वचा को साफ व मॉइस्चराइज रखें। धूप में सनस्क्रीन लगाना न भूलें।
त्वचा में किसी भी असामान्य परिवर्तन को नजरअंदाज न करें। समय पर डॉक्टर से सलाह लें और लाइफस्टाइल में सुधार करके बदलाव को कंट्रोल करें। सेहत से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com