स्किन से जुड़ी प्रॉब्लम्स में मेलाज्मा और हाइपरपिग्मेंटेशन दो बहुत आम हैं, जो स्किन के कलर को इफेक्ट करती है। ये दोनों प्रॉब्लम्स दिखने में एक जैसी लगती हैं, लेकिन इनके कारण और उपाय अलग होते हैं। आइए डॉक्टर कुलदीप शर्मा जी से जानें की मेलाज्मा और हाइपरपिग्मेंटेशन में क्या अंतर है।
मेलाज्मा क्या होता है?
मेलाज्मा स्किन पर डार्क ब्राउन कलर के धब्बों की तरह लगते हैं। यह ज्यादातर चेहरे और माथे, गाल, नाक और ऊपरी होंठ पर दिखते हैं। यह दिक्कत महिलाओं में ज्यादा दिखती है।
हाइपरपिग्मेंटेशन क्या होता है?
हाइपरपिग्मेंटेशन किसी भी वजह से स्किन के कुछ पार्ट्स में का नॉर्मल से डार्क हो जाता होता है। यह दिक्कत किसी भी बॉडी पार्ट में हो सकती है। इसका कारण सन लाइट या स्किन इंफेक्शन होता है।
मेलाज्मा के कारण
मेलाज्मा का एक सबसे बड़ा कारण शरीर में हार्मोनल चेंजेस होता है। प्रेगनेंसी, प्रेगनेंसी पिल्स और थायराइड की दिक्कत में यह बढ़ सकता है। सन लाइट और जेनेटिक्स भी मेलाज्मा बढ़ सकता हैं।
हाइपरपिग्मेंटेशन के कारण
सन लाइट, स्किन पर चोट, पिंपल्स के निशान, एलर्जी या किसी दवा के साइड इफेक्ट से हाइपरपिग्मेंटेशन की दिक्कत हो सकती है। यह किसी भी उम्र में किसी भी इंसान को हो सकती है।
मेलाज्मा का इलाज
मेलाज्मा को कम करने के लिए सनस्क्रीन का नियमित इस्तेमाल करना जरूरी है। डॉक्टर से मिली स्किन लाइटनिंग क्रीम, केमिकल पील और माइक्रोडर्माब्रेशन से इसको ठीक किया जा सकता है।
हाइपरपिग्मेंटेशन का इलाज
हाइपरपिग्मेंटेशन का इलाज करने के लिए स्किन ब्राइटनिंग क्रीम, लेजर थेरेपी और घरेलू उपाय जैसे एलोवेरा, नींबू और हल्दी का इस्तेमाल किया जाता है। हाइपरपिगमेंटेशन को कम करने के लिए सनलाइट से बचना भी जरूरी है।
मेलाज्मा और हाइपरपिग्मेंटेशन में समानता
मेलाज्मा और हाइपरपिग्मेंटेशन दोनों ही स्किन कलर पर असर करते हैं और यह प्रॉब्लम धूप में बढ़ सकती है। दोनों के इलाज में स्किन प्रोटेक्शन और स्किन केयर प्रोडक्ट्स का सही इस्तेमाल जरूरी है।
अगर आपकी स्किन पर काले धब्बे हैं, तो इसको पहचाने की यह मेलाज्मा है या हाइपरपिग्मेंटेशन और उसके बाद ही सही स्किन केयर रूटीन अपनाएं और डॉक्टर की सलाह लें। स्वास्थ्य से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com