World TB Day 2019: ट्यूबरक्‍लोसिस क्‍या है? एक्‍सपर्ट से जानें इसके फैक्‍ट्स और मिथ

अन्य़ बीमारियांBy Onlymyhealth editorial teamMar 22, 2019

भारत में टीबी (ट्यूबरक्‍लोसिस) के सबसे ज्‍यादा मामले देखने को मिलते हैं। साल 2016 में डब्‍ल्‍यूएचओ ने 2.‍79 मिलियन लोगों में ये बीमारी देखने को मिली थी। नए आंकड़े इस साल टीबी दिवस के दिन जारी किए जाएंगे। फिलहाल, यहां हम आपको इस वीडियो के माध्‍यम से ये बताने की कोशिश कर रहे हैं कि टीबी से जुड़े फैक्‍ट्स और मिथ क्‍या-क्‍या हैं। इस संबंध हमें जानकारी दे रहे हैं, दिल्‍ली के साकेत स्थि‍त, मैक्‍स हॉस्पिटल के एसोसिएट डायरेक्‍टर और हेड ऑफ लंग्‍स ट्रांसप्‍लांट मेडिसिन, डॉक्‍टर विवेक सिंह।  

टीबी क्‍या है और ये किन लोगों को हो सकती है?

टीबी एक संक्रामक रोग है जो किसी भी इंसान को हो सकता है। यह बलगम के रास्‍ते फैलता है, जिसमें टीबी के कीटाणु होते हैं। इन कीटाणुओं के संपर्क में आने पर, यदि किसी की इम्‍यूनिटी कमजोर है तो उसे भी ये संक्रमण हो सकता है।

टीबी के लक्षण क्‍या हैं? 

टीबी एक ऐसी बीमारी है जो शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकती है। यह आमतौर पर फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं। अमूमन, टीबी के लक्षणों में हल्‍का बुखार रहना, वजन का गिरना, भूख न लगना। अगर फेफड़ों में संक्रमण हुआ है तो खांसी आना, बलगम होना, खांसी में खून आना इसके अलावा शरीर में गांठों का बनना। कई लोग जिनको दिमाग की टीबी होती है उनको दौरे पड़ सकते हैं। भारत में प्रजनन के अंगों में टीबी आमतौर पर दिखाई देते हैं, जिसके कारण लोगों के बच्‍चे नहीं होते हैं। 

टीबी कितनी तरह का होता है? 

टीबी शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है। टीबी कई तरह की होती है जैसे, फेफड़े की टीबी, फेफड़े की झिल्‍ली, आंतों की टीबी, दिमाग की टीबी, प्रजनन अंगों की टीबी, पेशाब के रास्‍ते की टीबी, गांठों की टीबी, स्किन की टीबी हो सकती है। मेडिकल साइंस में नाखून और बालों को छोड़कर शरीर के किसी भी अंग को टीबी होने की बात बताई गई है। 

टीबी का इलाज क्‍या है? 

टीबी का इलाज इस बात निर्भर करता है कि टीबी किस जगह होती है। शरीर के अलग-अलग जगहों की टीबी के इलाज की समय सीमा भी अलग होती है। हालांकि, टीबी का निम्‍नतम इलाज छह माह का है। ध्‍यान रखने वाली बात यह है कि इसका इलाज खुद से बंद नहीं करना चाहिए।

टीबी में क्‍या सावधानियां बरतनी चाहिए?  

टीबी एक संक्रामक बीमारी है। इसके फैलने का सबसे बड़ा कारण खांसी है। खासतौर पर अगर आपको फेफड़े की खांसी है तो खांसते समय अपने मुंह पर कपड़ा रखना चाहिए। बलगम को खुली जगह नहीं थूकना चाहिए और न ही वॉश बेसिन में थूकना चाहिए, बल्कि उसे सुबह से शाम तक के बीच इकट्ठा कर मिट्टी का तेल डालकर नष्‍ट कर देना चाहिए। इसके अलावा आप अपना इलाज समय पर करें, दवाई समय से लें और डॉक्‍टर के सुझाव को ठीक तरह से पालन करें। 

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