Medicines For Irritable Bowel Syndrome in Hindi
इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम भागदौड़ भरी जीवनशैली से उपजी समस्या है। यह एक तरह से डायरिया से मिलता-जुलता रोग है। फर्क इतना है कि डायरिया बैक्टीरिया द्वारा होता है जबकि इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम नॉन-पैथोलॉजिकल समस्या है। पाचन तंत्र की समस्या के साथ-साथ यह एक मानसिक परेशानी भी है। आज की भागमभाग की जीवनशैली में हर काम को जल्दी में निबटाने की हड़बड़ाहट ऐसे तनाव को जन्म देती है। इससे हमारी पाचन क्रिया प्रभावित होती है और इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम की शिकायत हो जाती है। इसके लिए क्या दवाईयां ली जा सकती है, इसके बारे में पार्क अस्पताल के डॉक्टर ललित कुमार विस्तार से बता रहें हैं-
अगर दस्त लग रही है तो कुछ दवाईयां होती हैं जो आपके पेट की आंतों की स्पीड को कम करती हैं। इनको एंटीडायरल मेडिसिन कहा जता है, जिन्हें इस समस्या में दिया जाता है। दूसरी कैटेगरी में वह दवाईयां होती हैं जो पेट के दर्द को कम करती है। इसके लिए डायसाक्लोमिन दी जाती है, या फिर कोई पेन किलर दे सकते हैं। ऐसी दवाएं हल्के रूप से पेट के दर्द को ठीक करती हैं। तीसरी कैटेगरी में हम जो दवाईयां देते हैं उन्हें एंटीबायोटिक्स कहा जाता है। क्यों कि यह माना गया है कि इस तरह की समस्या पेट में संक्रमण की वजह से होता है। इसके लिए मरीज को 10-15 इन दवाई को देते हैं जिससे मरीज को आराम मिले। अगर इसके बाद भी मरीज के पेट की तकलीफ ठीक नही होती है तो मरीज को एंटीडिप्रसेंट या तनाव को कम करने की दवाईयां दी जाती है। इसका कम मात्रा में इस्तेमाल किया जाता है और यह देखा गया है कि यदि यह दवाई दी जाए तो मरीज को आराम मिलता है। इसके अलावा खास बात यह है कि इस संबंध में जो भी दवाई लेनी है उसे डॉक्टर के परामर्श के बगैर ना लें, क्यों कि यह देख गया है कि कुछ दवाईयों का साइड इफेक्ट भी होता है जैसे हड्डी कमजोर होना, याददाश्त की कमी आदि। इसलिए हमेशा ध्यान रहे कि बिना डॉक्टर की सलाह के दवाईयां ना खाएं।