माइग्रेन सिर्फ साधारण सिरदर्द नहीं है, बल्कि यह एक न्यूरोलॉजिकल समस्या है, जो कई कारणों से हो सकती है। आइए डॉक्टर अमृता जे गोटूर से जानते हैं कि माइग्रेन होने के पीछे कौन से कारक जिम्मेदार हो सकते हैं।
माइग्रेन क्या है?
माइग्रेन एक न्यूरोलॉजिकल स्थिति है जिसमें तेज सिरदर्द, मतली और रोशनी के प्रति संवेदनशीलता जैसे लक्षण होते हैं। यह दर्द कुछ घंटों से लेकर कई दिनों तक बना रह सकता है और जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है।
जेनेटिक्स का असर
डॉक्टर अमृता के अनुसार, अगर परिवार में किसी को माइग्रेन की समस्या रही है, तो इसकी संभावना बढ़ जाती है। आनुवंशिक कारणों से यह स्थिति ट्रिगर हो सकती है, खासकर अगर माता-पिता में से किसी को माइग्रेन हो।
लिंग से जुड़ा जोखिम
आपको बता दें कि महिलाओं में माइग्रेन की संभावना पुरुषों की तुलना में तीन गुना अधिक होती है। हार्मोनल उतार-चढ़ाव, जैसे पीरियड्स या मेनोपॉज, इसके मुख्य कारण हो सकते हैं।
आयु का प्रभाव
डॉक्टर के मुताबिक, माइग्रेन आमतौर पर किशोरावस्था में शुरू होता है और 30 की उम्र में सबसे अधिक होता है। उम्र बढ़ने के साथ इसकी तीव्रता और आवृत्ति में कमी देखी जा सकती है।
तनाव और चिंता
अत्यधिक मानसिक तनाव और चिंता माइग्रेन का सबसे आम कारण है। जब हम ज्यादा टेंशन लेते हैं, तो हमारे दिमाग की नसें संकुचित हो जाती हैं, जिससे सिर में तेज दर्द शुरू हो जाता है।
नींद की कमी
अगर आप पूरी नींद नहीं लेते हैं या आपकी नींद बार-बार टूटती है, तो यह माइग्रेन को ट्रिगर कर सकता है। पर्याप्त और अच्छी नींद लेना बहुत जरूरी है।
डाइट और लाइफस्टाइल
कैफीन, प्रोसेस्ड फूड, उपवास और अनियमित नींद माइग्रेन को ट्रिगर कर सकते हैं। इसलिए हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाना और ट्रिगरिंग फूड से बचना फायदेमंद है।
माइग्रेन एक गंभीर समस्या हो सकती है, लेकिन सही लाइफस्टाइल और डाइट से इसे कंट्रोल किया जा सकता है। सेहत से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com