रूमेटाइड अर्थराइटिस का मुख्य कारण यूरिक एसिड का बढ़ना होता है। इसमें मरी़ज की हालत इतनी बिगड़ जाती है कि उसके लिए हाथ-पैर हिलाना भी मुश्किल हो जाता है। रयूमेटायड अर्थराइटिस में तो यह दर्द उंगलियों, कलाइयों, पैरों, टखनों, कूल्हों और कंधों तक को नहीं छोड़ता है। यह बीमारी आमतौर पर 40 वर्ष की उम्र के बाद होती है, लेकिन यह कोई जरूरी नहीं है। खासतौर से महिलाएं इसकी ज्यादा शिकार होती हैं। इस समस्या से निपटने का एक ही उपाय है, उचित समय पर उचित खानपान। इनकी बदौलत एसिड क्रिस्टल डिपॉ़जि़ट को गलाने और दर्द को कम करने में मदद मिलती है। इसलिए बेहतर होगा कि दूसरी ची़जों पर ध्यान देने के बजाय खानपान की उचित आदतों पर ध्यान दिया जाए, ताकि यह नौबत ही न आए, फिर भी अर्थराइटिस हो गया हो तो ऐसी जीवन शैली अपनाएं जो शरीर से टॉक्सिक एसिड के अवयवों को खत्म कर दे। इसके लिए एसिड फ्री भोजन करें और शरीर में एसिड को जमने से रोकें। शरीर से एसिड का सफाया करने वाले जरूरी पोषक तत्वों को शरीर में रोकने की कोशिश करें, जिससे एसिड शरीर में ही जल जाए। खानपान का रखें ख्याल।
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