
लोगों के बीच एक आम धारणा है कि लो फैट और हाई फाईबर फूड हमेशा सेहत के लिये लाभदायक होता है और बस पैकेट पर इतना पढ़ कर हम संतुष्ट हो जाते हैं। लेकिन स्वास्थ्य के दृष्टीकोण से केवल इतनी जानकारी बहुत नहीं होती है।
हो सकता है कि वे खाद्य पदार्थ जिनके लेबल पर 'लो फैट' और नो 'एडेड शुगर' लिखा होता है, वे आपको स्वस्थ्यवर्धक लगते हों, लेकिन इन खाद्य पदार्थों की पैकेजिंग अत्यंत भ्रामक हो सकती है। जी हां सेहतमंद लाइफस्टाइल के लिए हम न जाने कितनी बातों का ख्याल रखते हैं। न सिर्फ इस दौरान हम खान-पान में तमाम परहेज करते हैं, बल्कि एक्सरसाइज भी खूब करते हैं। लेकिन इतनी सावधानी के बावजूद भी हम कुछ छोटी-छोटी बातों का ध्यान नहीं रख पाते। ऐसी ही एक चीज़ है फूड लेबस का सही मतलब समझना। लोगों के बीच एक आम धारणा है कि लो फैट और हाई फाईबर फूड हमेशा सेहत के लिये लाभदायक होता है और बस पैकेट पर इतना पढ़ कर हम संतुष्ट हो जाते हैं। लेकिन स्वास्थ्य के नज़रिये से इतनी जानकारी काफी नहीं है। उस खाद्य से संबंधित कई जानकारियां लेबल पर होती ही नहीं हैं और कई पूरी नहीं होती हैं। तो चलिये विस्तार से जानें कि क्या है फूड लेबल का अधूरा सच!
2014 के आरंभ में एफडीए एजेंसी ने पोषण तथ्यों वाले लेबल के लिए एक प्रस्तावित परिवर्तनों की एक सारणी जारी की। इस सारणी के मुताबिक खाद्य निर्माताओं को शुगर के अलावा टोटल शुगर व एडिड शुगर (ऐसी कोई भी शुगर जो प्राकृतिक रूप से खाद्य पदार्थ में उत्तपन्न न हुई हो) को भी लेबल पर अंकित करना था। लेकिन यह शर्त बड़े खाद्य निर्माताओं की भौंहे चढ़ा गई।
फिलहाल एफडीए इस संबंध में 18,000 से भी ज्यादा सार्वजनिक टिप्पणियों की समीक्षा कर रहा है। कुछ डॉक्टर व संस्थाएं जैसे, अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन आदि ने एफडीए के इस कमद का समर्थन भी किया। गौरतलब है कि कई खाद्य उत्पादक संगठनों (दी अमेरिकन बेवरीज एसोसिएशन एंड शुगर एसोसिएशन आदि) ने इसकी व दौरान विस्तार के लिए अपील भी दी, हालांकि एफडीए ने इसे रद्द कर दिया था।
एफडीए लेखकों के अनुसार वे स्वाभाविक शुगर और एडिड शुगर के बीच अंतर के विषय पर काम कर रहे हैं। लेकिन अगर सभी शुगर समान हैं तो इनकी गणनाओं को लेकर परेशानी नहीं होनी चाहिये। इसलिए उपभोक्ताओं को ये पूरा अधिकार है कि वे उनके द्वारा इस्तेमाल किये जा रहे खाद्य पदार्थों में सभी प्रकार के शुगर की सही-सही मात्रा के बारे में जानें।
एक्सपर्ट मानते हैं कि ग्राहकों को फूड लेबल पढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए ताकि वे शुगर की सही मात्र और प्रकार को जान पाएं। ब्राउन शुगर, कोर्न सिरप, डेक्स्ट्रोज, शहद, माल्ट सिरप, शुगर, मुलेसिस और सुक्रोज आदि का फूड लेबिल में होना बताता है कि उसमें एडिड शुगर भी है। यहां यह कि यह बताना भी बेहद जरूरी है कि कृत्राम स्वीटनर्स भी बहुत कम लेने चाहिए। क्योंकि इनमें कोई पौष्टिक तत्व नहीं होते और दीर्घकाल में इनका स्वास्थ संबंधी लाभ निर्धरित नहीं है।
विशेषज्ञों का मामना है कि जिस तरह शराब और तंबाकू के सेवन को लेकर सरकारी हस्तक्षेप है वैसे ही लेबल्ड फूड को लेकर भी प्रयास किये जाने चाहिये।
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