
डिजिटल स्ट्रेस आज एक नया साइलेंट हार्ट किलर बन चुका है, लेकिन बहुत से लोग इसके असर को अब भी कम आंकते हैं। लगातार मोबाइल, लैपटॉप और स्क्रीन से जुड़े रहना और हर पल जानकारी का दबाव हमारे स्ट्रेस लेवल को बढ़ा देता है, जो दिल की सेहत (Heart Health) पर गहरा असर डालता है। Dr. Praneeth Polamuri, Senior Consultant Interventional Cardiologist At Yashoda Hospitals, Hyderabad ने बताया कि हार्ट को हेल्दी रखने के लिए बीपी या कोलेस्ट्रॉल पर ध्यान देना काफी नहीं है। डिजिटल स्ट्रेस को कंट्रोल न करने से शरीर बीमारियों की चपेट में आ सकता है। इस लेख में जानेंगे कि डिजिटल स्ट्रेस क्या है, यह हार्ट और सेहत के लिए क्यों साइलेंट किलर कहलाता है और इससे कैसे निपटें?
डिजिटल स्ट्रेस क्या है?- What Is Digital Stress
जर्मन-ब्रिटिश अकादमिक प्रकाशन स्प्रिंगर नेचर के मुताबिक, डिजिटल स्ट्रेस वह तनाव है जो लगातार डिजिटल डिवाइस जैसे मोबाइल, कंप्यूटर, इंटरनेट, सोशल मीडिया के इस्तेमाल और सूचना-ओवरलोड से उत्पन्न होता है। इसका असर सिर्फ मानसिक नहीं, बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य पर भी होता है। इससे अनिद्रा, चिंता, चिड़चिड़ापन और लंबे समय में हृदय संबंधी जोखिमों का खतरा दोगुना हो सकता है।
हाई बीपी, अनियमित धड़कन, दिल का दौरा, स्ट्रोक का खतरा- High BP, Irregular Heartbeat, Heart Attack, Stroke

जब लोग हमेशा ऑनलाइन रहते हैं, तो दिमाग लगातार सतर्क (Hypervigilant) मोड में काम करता रहता है। इससे शरीर में तनाव बढ़ाने वाले हार्मोन कोर्टिसोल और एड्रिनलीन (Adrenaline) लगातार बनने लगते हैं। Dr. Praneeth Polamuri ने बताया कि लंबे समय तक ऐसा होने पर ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है, हार्ट रेट में असंतुलन आ सकता है और शरीर में सूजन (inflammation) बढ़ने लगती है। ये बदलाव दिल पर छिपा हुआ दबाव डालते हैं और आगे चलकर हाई बीपी, अनियमित धड़कन, दिल का दौरा या स्ट्रोक जैसे जोखिम बढ़ने लगते हैं।
यह भी पढ़ें- बार-बार सिरदर्द कहीं फोन ज्यादा चलाने के कारण तो नहीं? डॉक्टर से समझें कनेक्शन
मोटापा, डायबिटीज, मेटाबॉलिक समस्याएं, हार्ट की बीमारियां- Obesity, Diabetes, Metabolic Problems, Heart Diseases
डिजिटल स्ट्रेस (Digital Stress) के कारण हमारी दिनचर्या भी बिगड़ जाती है। ज्यादा स्क्रीन टाइम और ऑनलाइन काम के दबाव से नींद खराब होती है, शारीरिक गतिविधि कम हो जाती है और खाने की आदतें बिगड़ जाती हैं। Dr. Praneeth Polamuri ने बताया कि यही आदतें आगे चलकर मोटापा, डायबिटीज और मेटाबॉलिक समस्याओं का कारण बनती हैं, जो दिल की बीमारी के मुख्य कारण हैं।
चिंता, डिप्रेशन, अकेलापन- Anxiety, Depression, Loneliness
इसके साथ-साथ डिजिटल स्ट्रेस का भावनात्मक बोझ जैसे चिंता, डिप्रेशन और अकेलापन भी दिल पर असर डालता है। ये भावनाएं शरीर के जैविक (Biological) सिस्टम को बदल देती हैं और दिल की सहनशक्ति कम करती हैं। लगातार जुड़े रहने और हर समय एक्टिव रहने की आदत हमारे दिमाग और दिल, दोनों को आराम और रिकवरी का समय नहीं लेने देतीं।
यह भी पढ़ें- क्या आप भी करते हैं फोन का ज्यादा इस्तेमाल? एक्सपर्ट से जानें इसका मेंटल हेल्थ पर असर और बचाव का तरीका
डिजिटल स्ट्रेस से बचने के लिए क्या करें?- How To Prevent Digital Stress
डिजिटल स्ट्रेस से बचने के लिए जागरूकता और स्मार्ट आदतें बहुत जरूरी हैं-
- स्क्रीन का इस्तेमाल सीमित कर दें।
- बीच-बीच में ब्रेक लें।
- अच्छी नींद को प्राथमिकता दें।
- नियमित शारीरिक गतिविधि करें क्योंकि ये दिल की सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी कदम हैं।
- साथ ही माइंडफुलनेस, रिलैक्सेशन और स्ट्रेस-मैनेजमेंट तकनीकें डिजिटल ओवरलोड के नुकसान कम करने में मदद करती हैं।
निष्कर्ष:
तकनीक का संतुलित इस्तेमाल और मानसिक सेहत को प्राथमिकता देकर ही हम डिजिटल स्ट्रेस से दिल को होने वाले नुकसान को कम कर सकते हैं।
उम्मीद करते हैं कि आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। इस लेख को शेयर करना न भूलें।
यह विडियो भी देखें
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version
Dec 09, 2025 12:24 IST
Modified By : Yashaswi MathurDec 09, 2025 12:24 IST
Modified By : Yashaswi MathurDec 09, 2025 12:24 IST
Published By : Yashaswi Mathur