
गर्भधारण करने के बाद से लेकर प्रसव तक के समय को गर्भावस्था कहते हैं, विस्तार से जानने के लिए पढ़ें इस लेख को।
हर मां का सपना मां बनने का होता है, इसके लिए गर्भधारण के बाद प्रसव तक नौं महीने के होते हैं। गर्भवती होने के बाद से लेकर प्रसव तक के इस समय को गर्भावस्था का समय कहा जाता है। इस दौरान कई खट्टे-मीठे अनुभव से महिला गुजरती है।
गर्भवती होने के बाद महिला को आतिरिक्त देखभाल की जरूरत होती है, खाने में अतिरिक्त कैलोरी लेना आवश्यक होता है और समय पर सभी जरूरी जांच कराना भी जरूरी होता है। इस दौरान देखभाल में अनियमितता बरती जाये तो कई प्रकार की जटिलतायें हो सकती हैं। आइए हम आपको गर्भावस्था के बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं।
गर्भधारण करना
यदि आपकी नियमित माहवारी बंद हो जाये तब आप प्रेग्नेंसी डिटेक्शन किट से गर्भावस्था की जांच कर सकती हैं। यह किट यूरीन में मौजूद एचसीजी हार्मोन डिटेक्ट करती है। माहवारी रुकने के 10 दिन के बाद इस किट का प्रयोग आप आसानी से घर पर करके गर्भवती होने का पता लगा सकती हैं। यदि इस किट में गर्भधारण का रिजल्ट निगेटिव आये तो आप चिकित्सक से सलाह कीजिए।
गर्भावस्था और आहार
गर्भधारण करने के बाद महिला को खान-पान का विशेष ध्यान रखना पड़ता है। अब जब आप मां बनने वाली है तो , आपको अच्छी तरह से खाने की जरूरत होती है। यदि आपका आहार पहले से ही ठीक नहीं है तो यह और भी महत्वपूर्ण है कि आप अपने डायट चार्ट में पौष्टिक आहार को शामिल करें। इस दौरान खाने में विटामिन और खनिज, विशेष रूप से फोलिक एसिड और आयरन की जरूरत होती है, इसलिए इनको शामिल करें। अतिरिक्त कैलोरी की जरूरत को पूरा करने के लिए प्रोटीन का सेवन अधिक करें। इस दौरान जंक फूड से दूर रहे क्योंकि इसमें कैलोरी बहुत होती है और पोषक तत्व कम।
गर्भावस्था और व्यायाम
गर्भावस्था के दौरान व्यायाम बहुत जरूरी है, यदि आप गर्भधारण के बाद नियमित व्यायाम कर रही हैं तो प्रसव के दौरान ज्यादा समस्याओं का सामाना नहीं करना पड़ता और गर्भावस्था के इस नौ महीनें में आप फिट और हेल्दी भी रहती हैं। गर्भावस्था के शुरूआत दिनों में सामान्य व्यायाम कर सकती हैं, लेकिन दूसरी और तीसरी तिमाही में हल्का व्यायाम करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि इस समय आपके शरीर का वजन बढ़ जाता है और भ्रूण का भी विकास हो चुका होता है।
गर्भावस्था और शारीरिक बदलाव
गर्भधारण के बाद महिला के शरीर में बदलाव होने लगता है, त्वचा का रंग भी बदल जाता है। महिला के शरीर के कई अंग गहरे रंग के हो जाते हैं। स्तनों, नाखूनों और बालों में भी बदलाव दिखता है। महिल के चेहरे की त्वचा में भी सूजन आ जाता है। केल्सियम की कमी के कारण नाखूनों में दरारें भी पड़ सकती हैं। बाल सफेद और सूखे भी हो सकते हैं। इस दौरान मसूड़ों में सूजन और दांतों में दर्द भी होता है।
गर्भावस्था और जटिलतायें
गर्भावस्था के इन नौं महीनों में महिला को कई प्रकार की जटिलता का भी सामना करना पड़ता है। मॉर्निंग सिकनेस, मतली, उलटी, सिरदर्द, कमर दर्द, तनाव जैसी कई समस्यायें इस दौरान होती हैं। रक्तस्राव होना भी गर्भावस्था की एक सामान्य समस्या है। लेकिन यदि पहली तिमाही अधिक ब्लीडिंग होती है तो चिकित्सक से संपर्क कीजिए, क्योंकि इससे गर्भपात होने की भी संभावना रहती है।
गर्भावस्था के नौ महीने एक नये एहसास की तरह होते हैं, इसलिए इस दौरान आने वाली समस्याओं के साथ-साथ अपने घर में आने वाले नये मेहमान के स्वागत की भी तैयारी गर्मजोशी से करें।
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