
विश्व रक्तदान दिवस: विश्व रक्तदान दिवस क्यों मानाया जाता है। इसके पीछे छिपे उद्देशय को जानने के लिए पढें।
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 14 जून को विश्व रक्तदान दिवस मनाया जाता है। संगठन ने वर्ष 1997 में यह लक्ष्य रखा था कि विश्व के प्रमुख 124 देश अपने यहाँ स्वैच्छिक रक्तदान को ही बढ़ावा दें। इसका मकसद यह था कि किसी भी व्यक्ति को रक्त की जरूरत पड़ने पर उसके लिए उसे पैसे देने की जरूरत ना पड़े।
विश्व स्वास्थ्य संगठन कार्ल लेण्डस्टाइनर नामक विख्यात ऑस्ट्रियाई जीवविज्ञानी और भौतिकीविद की याद में उनके जन्मदिन के अवसर पर रक्तदान को बढ़ावा देने के लिए 14 जून को विश्व रक्तदाता दिवस के तौर पर मनाता है।
भारत में रक्तदान
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के अनुसार भारत में सालाना एक करोड़ यूनिट रक्त की जरूरत होती है। लेकिन 75 लाख यूनिट ही उपलब्ध हो पाता है। यानी क़रीब 25 लाख यूनिट ख़ून के अभाव में हर साल सैंकड़ों मरीज़ दम तोड़ देते हैं। भारत की आबादी सवा अरब है, जबकि रक्तदाताओं का आंकड़ा कुल आबादी का एक प्रतिशत भी नहीं है। भारत में कुल रक्तदान का केवल 49 फीसदी रक्तदान स्वेच्छिक होता है। राजधानी दिल्ली में तो स्वैच्छिक रक्तदान केवल 32 फीसदी है। दिल्ली में 53 ब्लड बैंक हैं पर फिर भी एक लाख यूनिट ख़ून की कमी है।
रक्तदान को लेकर भ्रांतियाँ
रक्तदान से बहुत से लोगों का जीवन बचाया जा सकता है। बहुत से लोग यह समझते हैं कि रक्तदान से शरीर कमज़ोर हो जाता है,और उस रक्त की भरपाई होने में महीनों लग जाते हैं। इतना ही नहीं लोगों में यह गलतफहमी भी व्याप्त है कि नियमित ख़ून देने से लोगों की रोगप्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है और व्यक्ति को बीमारियां जल्दी जकड़ लेती हैं। यहाँ भ्रम इस क़दर फैला हुआ है कि लोग रक्तदान का नाम सुनकर ही सिहर उठते हैं। विश्व रक्तदान दिवस समाज में रक्तदान को लेकर व्याप्त भ्रांति को दूर करने का और रक्तदान को प्रोत्साहित करने का काम करता है।
रक्तदान की प्रमुख बाते
• मनुष्य के शरीर में रक्त बनने की प्रक्रिया हमेशा चलती रहती है, और रक्तदान से कोई भी नुकसान नहीं होता है।
• कोई भी स्वस्थ्य व्यक्ति जिसकी उम्र 18 से 60 साल के बीच हो, और 45 किलोग्राम से अधिक वजन का हो, रक्तदान कर सकता।
• जिसे एचआईवी,हेपाटिटिस बी या सी जैसी बीमारी न हो,वह रक्तदान कर सकता है।
• एक बार में 350 मिलीग्राम रक्त दिया जाता है, उसकी पूर्ति शरीर में चौबीस घण्टे के अन्दर हो जाती है, और गुणवत्ता की पूर्ति 21 दिनों के भीतर हो जाती है।
• जो व्यक्ति नियमित रक्तदान करते हैं, उन्हें हृदय सम्बन्धी बीमारियां होने का खतरा कम रहता हैं।
• हमारे रक्त की संरचना ऐसी है कि उसमें समाहित रेड ब्लड सेल तीन माह में स्वयं ही मर जाते हैं,लिहाज़ा प्रत्येक स्वस्थ्य व्यक्ति तीन माह में एक बार रक्तदान कर सकता है।
• डाक्टरों के मुताबिक रक्त का लम्बे समय तक भण्डारण नहीं किया जा सकता है।
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