जानिए कैैैैसा होना चाहिए वृद्धावस्‍था में आपका डाइट चार्ट, नहीं होंगी जानलेवा बीमारियां

उम्र बढ़ने के साथ रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है जिससे बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में सबसे जरूरी है कि आप ऐसे खाद्य-पदार्थों को अपनी डाइट में शामिल कीजिए जो आसानी से पच जायें। आइए आपको बताते हैं कि बुढ़ापे में व्‍यक्ति का ड

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Written by: सम्‍पादकीय विभागUpdated at: Jul 15, 2019 18:02 IST
जानिए कैैैैसा होना चाहिए वृद्धावस्‍था में आपका डाइट चार्ट, नहीं होंगी जानलेवा बीमारियां

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कहा जाता है कि बचपन और बुढ़ापा एक समान होता है। यानि बचपन और बुढ़ापे में इंसान सबसे कमजोर होता है और उसे बीमारियों का खतरा अधिक होता है। बुढ़ापे की बात करें, तो डायबिटीज, मोटापा, मोतियाबिंद, पेट की समस्‍या, नींद न आना जैसी समस्‍यायें उम्रदराज लोगों को ज्‍यादा होती हैं। इस दौरान शरीर को फिट और स्‍वस्‍थ रखना मुश्किल होता है क्‍योंकि रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है और डाइजेशन भी अच्‍छे से नहीं हो पाता है। ऐसे में अगर नियमित दिनचर्या और सही खान-पान हो तो बढ़ती उम्र के असर को बेअसर किया जा सकता है। ऐसे में सबसे जरूरी है कि आप ऐसे खाद्य-पदार्थों को अपनी डाइट में शामिल कीजिए जो आसानी से पच जायें। आइए आपको बताते हैं कि बुढ़ापे में व्‍यक्ति का डाइट चार्ट कैसा होना चाहिए। 

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बूढ़े लोगों के लिए डाइट चार्ट -

ब्रेकफास्‍ट - उम्रदराज लोगों को नाश्‍ते में ज्‍यादा फाइबरयुक्‍त खाद्य-पदार्थ लेना चाहिए। इसके लिए 200 मिग्रा दूध चीनी के साथ, एक प्‍लेट दलिया ले सकते हैं।


नाश्‍ते के बाद - नाश्‍ते के लगभग दो घंटे बाद ताजे फलों का जूस या फिर चाय और कॉफी ले सकते हैं। साथ में दो बिस्किट भी खा सकते हैं।


दोपहर का भोजन - लंच में दो रोटी, ऑलिव ऑयल में पका हुआ चिकेन या दो अंडा, एक कप वसा रहित दही, साथ में एक प्‍लेट मिक्‍स सलाद।


लंच के बाद - लंच करने के दो से तीन घंटे बाद ताजे फलों का जूस।


रात का खाना -  रात के खाने में दो रोटी, एक कटोरी दाल, एक कटोरी हरी पत्‍तेदार सब्‍जी, 3-4 उबला हुआ आलू, एक प्‍लेट सलाद ले सकते हैं। जो मांसाहारी हैं वो रात के खाने में 200 ग्राम सफेद मछली (इसमें कॉड, हैडोक, प्‍लैस, हेक आदि मछलियां) या चिकन ले सकते हैं।


डिनर के बाद - डिनर के बाद एक गिलास हल्‍का गर्म दूध पीजिए।

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उम्रदराज लोगों के लिए ध्‍यान देने वाली अन्‍य बातें -

  • साबुत अनाज जैसे आटा, बाजारा, ज्वार आदि का सेवन कीजिए। आहार में अनाजों के मिश्रण का प्रयोग करें, अर्थात एक बार के खाने में चावल और दूसरी बार के खाने में चपाती लें।
  • विभिन्न प्रकार की दालें खाएं जैसे धुली हुई दालें (मूंग, मसूर, अरहर इत्यादि) साबुत दालें जैसे सोयाबीन, राजमा और लोबिया और अंकुरित दालें जिनमें विटामिन सी प्रचुर मात्रा में होता है आदि का सेवन कीजिए।
  • यदि आपको पाचन संबंधी कोई समस्या जैसे गैस, एसिडिटी है तो साबुल दाल जैसे - राजमा, सोयाबीन को खाने से बचें।
  • दुग्ध और दुग्ध उत्पाद जैसे - पनीर, दही, बटर, बादाम और अखरोट प्रोटीन के अच्छे स्रोत हैं।
  • क्रीमयुक्त दूध, अंडे और लाल मांस में वसा प्रचुर मात्रा में होता है जो शरीर में कोलस्ट्राल बढ़ाता है, इसलिए उनका प्रयोग कम करें।
  • प्रत्येक भोजन मे कुछ फलों या सब्जियों को मिलाने का प्रयास करें। हर रोज हरी सब्जियां जैसे - पालक, टमाटर, पपीता, आंवला खाएं क्योंकि वे अनेक पोषक तत्वों विशेषकर फाइबर, खनिज और विटामिन के उत्तम स्रोत हैं।


नियमित रूप से डाइट चार्ट का पालन कीजिए, एक दिन में 8-10 गिलास पानी पीजिए। एक बार में ज्‍यादा खाने से बचिए। सुबह-सुबह जॉगिंग और योगा जरूर कीजिए। नियमित रूप से चेकअप कराइए और कुछ भी खाने से पहले एक बार चिकित्‍सक से कंसल्‍ट अवश्‍य कीजिए।

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