
किडनी के कैंसर की चिकित्सा: किडनी के कैंसर की चिकित्सा क्या है। पढ़ें किस तरह रोगियों में किडनी कैंसर की चिकित्सा की जाती है।
कैंसर के प्रकार और स्टेज पर ही कैंसर की चिकित्सा निर्भर करती है । यह चिकित्सा व्यक्ति की उम्र, स्वास्थ्य निजी वरीयताओं पर भी निर्भर करती है । किडनी के कैंसर की चिकित्सा के लिए सर्जरी, बायलोजिकल थेरेपी, कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी दी जाती है । किडनी के कैंसर की चिकित्सा के लिए सबसे महत्वपूर्ण चरण है सर्जरी क्योंकि इसके बिना कैंसर के साथ जीवन यापन करना बहुत मुश्किल है । लेकिन इसे सिर्फ किडनी के कैंसर से बचाव के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है जबकि आपके ट्यूमर को पूरी तरह से निकाल दिया जाता है । मेटास्टेटिक बीमारी से बचाव के लिए सर्जरी से बहुत से लोगों का बचाव नहीं हो सकता ।
सर्जिकल प्रक्रिया व पार्शियल नेफरेक्टामी
रेडिकल नेफरेक्टापमी किडनी, एड्रेनल ग्लैंड, आसपास के लिम्फ नोड्स और फैटी टिश्यू को निकाल दिया जाता है । कुछ प्रकार के कैंसर से बचाव के लिए कैमरे के मार्गदर्शन में नेफरेक्टामी नामक सर्जरी की जाती है, जिसमें पुराने समय में की जाने वाली सर्जरी की तुलना में बहुत छोटे चीरे लगाये जाते हैं। किडनी के सिर्फ उस भाग को निकाला जाता है जिसमें कि कैंसर के सेल्स होते हैं । ऐसे में यह खतरा भी रहता है कि कैंसर के कुछ सेल्स रह जायें।
लैपरोस्कोरप
आज किडनी के कैंसर की चिकित्सा के लिए कम इनवेसिव तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है । इस प्रक्रिया में सर्जन कुछ मिनिमली इनवेसिव सर्जिकल तकनीक अपनाते हैं ।लैपरोस्कोरप की सहायता से छोटे चीरे लगाकर पूरी किडनी को या किडनी के कुछ भाग को निकाल दिया जाता है । पुराने ट्रैडिशनल सर्जिकल इन्सीज़न बड़ा होता है और इसे भरने में लगभग 8 से 12 हफ्ते लग जाते हैं । मिनिमली इनवेसिव तकनीक के सहारे जल्दी रिकवरी संभव है और इसके परिणाम भी वही होते हैं जो कि बड़े चीरे के होते हैं । तकनीक अपनाकर कुछ आर्टरीयल इम्बोलाइज़ेशन कैथटर नामक छोटे ट्यूब को आर्टरी के ग्रोयइन में लगाकर रक्तक वाहिनीयों के पास तब तक ले जाया जाता है जबतक कि वह किडनी की आर्टरी तक ना पहुंच जाये । फिर पदार्थों को आर्टरी में इंजेक्टी कर ब्लाक कर दिया जाता है । इस तकनीक को नेफरेक्टाआमी से पहले किया जाता है जिससे किसी भी प्रकार से किडनी से हो रही ब्लीडिंग को रोका जाये और कैंसर के सेल्स को नष्ट किया जा सके ।
मेटास्टेसेस रीमूवल
जब किडनी का कैंसर दूर की साइट्स तक फैल जाता है तो इस साइट को मेटास्टेटेस कहते हैं । सर्जरी के द्वारा मेटास्टेकसेस को निकालने से कुछ समय तक दर्द से राहत मिलती है और आसपास की जगहों पर तुरंत दिखने लगते हैं लेकिन इससे व्यक्ति को लम्बे समय तक जीवन यापन करने में मदद नहीं मिलती । शोधों से ऐसा पता चलता है कि किडनी के कैंसर का विकास और प्रसार कुछ रासायनिक क्रियाओं के नियंत्रण में होता है जो कि किडनी के कैंसर के सेल्स में होता है और नान कैंसरस सेल में सामान्य से कुछ डिग्री कम होता है । आज बाज़ार में ऐसे ड्रग्स भी उपलब्ध हैं जो कि रासायनिक क्रियाओं को नियंत्रित कर देते हैं या रोक देते हैं । पिछले कुछ सालों में किडनी के कैंसर से बचाव के लिए तीन नये ड्रग्स स्वीकृत किये गये हैं और हर एक ड्रग्स कुछ निश्चित क्रिया करता है । ऐसे दो आम ड्रग्स हैं सोराफेनिब और सुनीटिनिब ।
किडनी के कैंसर की सबसे एडवांस्ड चिकित्सा है बायोलाजिकल थेरेपी जिसे कि इम्यूरनोथेरेपी भी कहते हैं । यह शरीर के प्राकृतिक प्रतिरक्षा सुरक्षा को कैंसर के सेल्से को मारने में मदद करता है । ऐसी तीन प्रकार की बायोलाजिकल थेरेपी पायी गयी है । वो प्रोटीन जो कि शरीर की प्रतिरक्षा सुरक्षा (साइटोकिन्स) को सक्रिय करता है । ऐसी तीन प्रकार की बायलाजिकल थेरेपी हैं ।
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