
लोगों को इस बारे में शिक्षित करना बेहद महत्वपूर्ण है कि दिल का दौरा पड़ने के कुछ घंटों के भीतर इलाज से फायदा पहुंच सकता है।
ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, भारत में हर साल लगभग दो मिलियन दिल के दौरे पड़ते हैं जिनके लक्षण पुरुषों और महिलाओं दोनों में अलग-अलग होते हैं। दिल के दौरे के संकेतों और लक्षणों के बारे में जागरूकता की कमी के चलते कई लोग समय पर उपचार लेने से चूक जाते हैं। ऐसे में लोगों के अंदर यह जागरूकता लाना अत्यंत आवश्यक है कि सही समय पर उपचार से कई जटिलताएं टल सकती हैं और व्यक्ति की जान भी बचाई जा सकती है।
पारिवारिक इतिहास, ख़राब जीवनशैली, धूम्रपान, संसाधित खाद्य पदार्थों का सेवन, तनाव, मोटापे और शारीरिक गतिविधियों की कमी के कारण आज युवाओं सहित कई लोगों पर दिल का दौरा पड़ने का खतरा मंडरा रहा है। ऐसे में जब किसी व्यक्ति को दिल का दौरा पड़ता है, तो पहले एक घंटे के भीतर दवाओं का सेवन करने से उसकी जान बच सकती है।
इस विषय में बात करते हुए, डॉ. सुमीत सेठी, एसोसिएट डायरेक्टर - इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी, मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, साकेत ने कहा, "दिल का दौरा तब पड़ता है जब हृदय की मांसपेशी का एक हिस्सा काम करना बंद कर देता है और जब उसे पर्याप्त रक्त प्रवाह नहीं मिलता है। सीने में बेचैनी, शरीर के ऊपरी हिस्से में दर्द और सांस की तकलीफ के साथ-साथ छाती में भारीपन जैसे संकेत दिल के दौरे की चेतावनी देते हैं। वहीं, महिलाओं को जबड़े, गर्दन या पीठ में दर्द के साथ-साथ सांस की तकलीफ, खांसी या मतली जैसे लक्षण दिख सकते हैं। ऐसे में समय पर उपचार बेहद महत्वपूर्ण है। यह न केवल तत्काल चिकित्सा प्रदान करने में मदद करता है बल्कि दिल को होने वाली क्षति को भी सीमित करता है।"
डॉ. सेठी ने आगे कहा, "कई दिल के दौरे पूरी तरह से दर्द रहित होते हैं और सीने में अचानक जलन, सांस फूलना, चक्कर आना, बेचैनी, उल्टी या पसीना जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं लेकिन यह लक्षण लंबे समय तक जारी रहें तो दिल का दौरा पड़ने की संभावना होती है। ऐसे में गोल्डन रुल यह कहता है कि 'गोल्डन आवर' में पीड़ित को तुरंत स्पेशलिस्ट के पास ले जाया जाए। यदि ऐसा किया जाता है, तो हृदय की मांसपेशियों को नुकसान को कम करना संभव हो सकता है। साथ ही प्राथमिक एंजियोप्लास्टी भी तुरंत की जानी चाहिए।"
प्राथमिक एंजियोप्लास्टी आपातकालीन कोरोनरी एंजियोग्राफी से शुरू होती है जिसमें डॉक्टर पतले कैथेटर को कमर या कलाई की धमनी में डालते हैं जो हृदय की आपूर्ति करने वाली कोरोनरी धमनियों के चित्र बनाती है। ब्लॉक हुई धमनी को एक तार और फिर एक गुब्बारा पास करके खोला जा सकता है। दवाओं को सीधे रक्त वाहिका में भी इंजेक्ट किया जा सकता है। एक स्टेंट / वायर मेश ट्यूब को खुला रखने के लिए धमनी में डाला जाता है। आजकल हम ड्रग-एल्यूटिंग स्टेंट (डीईएस) का उपयोग करते हैं जो धमनियों को एक एंटी-प्रोलेफ़ेरेटिव दवा रिलीज़ करके फिर से ब्लॉक होने से रोकते हैं। डीईएस प्लाक बिल्डअप को रोकने हृदय में रक्त प्रवाह को बढ़ाने और सीने में दर्द से राहत दे सकता है। साथ ही इससे व्यक्ति के दिल का दौरा पड़ने की संभावना को भी कम हो सकती है।साथ ही इससे व्यक्ति को जल्द ही अपने नियमित जीवन में लौटने में मदद मिलती है।
दिल का दौरा रोकने के कुछ उपाय
- सीने में जलन, असामान्य जगहों पर दर्द, लगातार उल्टी जैसे लक्षणों को अनदेखा न करें, यह दिल के दौरे के संकेत हो सकते हैं।
- यदि पहली ईसीजी और रक्त परीक्षण सामान्य है, तो डॉक्टर अक्सर रोगी को 1-3 घंटे की प्रतीक्षा के बाद दोहराने के लिए कहते हैं। ऐसा न करना जान जोखिम में डाल सकता है।
- स्वस्थ आहार और व्यायाम के साथ स्वस्थ जीवन शैली अपनाएं।
- धूम्रपान और तम्बाकू का सेवन न करें। आहार और व्यायाम द्वारा शरीर के वजन को नियंत्रित करें।
- अपने बीपी, ब्लड शुगर की जाँच नियमित रूप से करवाएं और उन्हें नियंत्रित करें। अगर डॉक्टर सलाह दें तो कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली दवाएं लें।
नोट: आर्टिकल में दी गई जानकारी, डॉ. सुमीत सेठी, एसोसिएट डायरेक्टर- इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी, मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, साकेत के निजी विचार हैं, जो सामान्य जागरूकता और शैक्षिक उद्देश्यों के लिए व्यक्त किए गए हैं।
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