
रयूमेटाइड अर्थराइटिस होने पर लाइफस्टाइल में बदलाव बहुत जरूरी है। इस लेख में जानिए कि इस बीमारी के होने पर किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
रयूमेटाइड अर्थराटिस जोड़ों से संबंधित बीमारी है, इसके कारण शरीर के जोड़ों वाले हिस्से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। हाथ, कुहनी, कलाई, कंधे, कुल्हे, घुटने, टखने और गर्दन आदि इसकी चपेट में आते हैं। रयूमेटाइड आर्थराइटिस कि वजह से जोड़ ढीले, असामान्य, कम गतिशील तथा कमजोर हो जाते हैं। इसमें मटर या मक्के के दाने बराबर गांठ भी बन जाती है जो दर्दहीन रहती है। यह गांठ ज्यादातर त्वचा के नीचे बनती है। इस बीमारी में सिर दर्द या दांत का दर्द निरंतर होता रहता है। ठंडी के मौसम में इस बीमारी का दर्द असहनीय हो जाता है। आइए हम आपको इस बीमारी में ध्यान रखने वाली बातों की जानकारी देते हैं।
रयूमेटाइड अर्थराइटिस में ध्यान रखें
थोड़ी देर धूप में रहें
रयूमेटाइड अर्थराइटिस हड्डियों की बीमारी है और इसके कारण इसकी चपेट में हड्डियां आती हैं। यदि आप इस बीमारी के चपेट में आ गये हैं तो इस बीमारी के दर्द को कम करने के लिए धूप सेंकना बहुत जरूरी है। धूप सेंकने से हड्डियां मजबूत होती हैं। सूरज की किरणों में मौजूद विटमिन डी शरीर में कैल्शियम के अवशोषण की क्षमता को बढ़ाता है जिसके कारण रयूमेटाइड अर्थराइटिस के दर्द को कुछ हद तक कम किया जा सकता है।
खानपान में सावधानी
इस बीमारी से ग्रस्त लोगों को खानपान पर विशेष ध्यान देना चाहिए। खानपान के जरिए इससे बचाव तो होता है साथ ही इसकी संभावना को कम किया जा सकता है। इसलिए अपने डायट चार्ट में कैल्शियम और प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों की मात्रा बढ़ाइये। इसके लिए आप दूध और इससे बनी चीजों, दालों, हरी सब्जियों, अमरूद, सेब आदि फलों का नियमित रूप से सेवन करें। इस आहार के सेवन से आपके शरीर में कैल्शियम की मात्रा बढ़ेगी और इस बीमारी का प्रकोप कम होगा।
अधिक दर्द हो तो
रयूमेटाइड अर्थराइटिस में सर्दियों के मौसम में असहनीय दर्द होता है। यदि रात में सोने से पहले दर्द हो तो गरम वाटर बैग से जोड़ों की सिंकाई कीजिए। वाटर बैग से हाथ-पैरों की सिंकाईं करने से इस बीमारी को फैलने से रोका जा सकेगा। इस सिंकाई से दर्द का असर कम हो जाता है और मरीज को आराम मिलता है।
व्यायाम है जरूरी
व्यायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल करके आप न केवल फिट रहते हैं बल्कि कई खतरनाक बीमारी के होने की संभावना को भी कम करते हैं। फिर भी यदि आप रयूमेटाइड अर्थराइटिस जैसी बीमारी की चपेट में आ गये हैं तो व्यायाम करना बिलकुल न छोड़ें। सुबह के समय कम से कम 30 मिनट तक व्यायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल कीजिए।
वजन कम करें
मोटापा कई बीमारियों का कारण है, और यदि आप इस बीमारी की चपेट में हैं और आपका वजन सामान्य से अधिक है तो उसपर नियंत्रण करने की जरूरत है। क्योंकि रयूमेटाइड अर्थराइटिस ज्यादातर मोटे लोगों को होती है। इसलिए अगर आपका वजन ज्यादा है तो जरूरी है कि आप समय रहते उसपर नियंत्रण कीजिए। मोटापे की वजह से जोड़ों से संबंधित अन्य बीमारियां भी हो सकती हैं।
किसे होती है यह बीमारी
रयूमेटाइड अर्थराइटिस किसी को भी हो सकती है, लेकिन यह बीमारी ज्यादातर 20 से 50 साल के लोगों को प्रभावित करती है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि बच्चे और बूढ़े इसकी चपेट में नहीं आ सकते। हालांकि पुरूषों की तुलना में यह बीमारी महिलाओं को अधिक होती है। एक अनुमान के मुताबिक यूनाइटेड स्टेट के दो लाख रयूमेटाइड आर्थराइटिस के मरीजों में से 75 प्रतिशत संख्या महिलाओं की है।
रयूमेटाइड आर्थराइटिस पूरे शरीर को प्रभावित करने वाली बीमारी है। इसकी वजह से शरीर के अंदरूनी हिस्से जैसे - दिल, आंख तथा फेफड़े भी प्रभावित होते हैं। इसके लक्षण अलग-अलग लोगों में और एक ही व्यक्ति में समय-समय पर बदलते रहते हैं। इस बीमारी के होने पर चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
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