
तरक्की के लिए अपनी क्षमताओं को पहचानें : कामयाबी हासिल करने का सबसे पहला नियम है अपनी क्षमताओं का सही आकलन। अगर आप जानते हैं कि आपकी ताकत क्या है और किस क्षेत्र में आपको अधिक मेहनत करने की जरूरत है, तो बेशक तरक्कीय राह आपके लिए
अक्सर हम इस दुविधा में रहते हैं कि क्या मैं यह काम कर पाऊंगा। और अगर करूंगा तो कैसे। या फिर मुझे इस काम को करने की जरूरत क्या है। यार, ये मेरे बस का रोग नहीं। तो सही मायनों में आपने अभी तक अपनी क्षमताओं का सही आकलन नहीं किया है।
कामयाबी हासिल करने का सबसे पहला नियम है अपनी क्षमताओं का सही आकलन। अगर आप जानते हैं कि आपकी ताकत क्या है और किस क्षेत्र में आपको अधिक मेहनत करने की जरूरत है, तो बेशक तरक्कीय राह आपके लिए आसान हो जाएगी।
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हालांकि, यह कहना आसान है और करना बेहद मुश्किल। अपना मूल्यांकन करना और अपने बारे में जानना आसान नहीं है। ये और बात है कि हम दूसरों की कमी और खूबियों के बारे में लंबे-लंबे भाषण भी दे सकते हैं। फिर चाहे वो हमारा दोस्त हो, प्रतिद्वंद्वी हो या फिर कोई ऐसा जिसे देखना भी हमें गवारा नहीं होता।
तो फिर कैसे परखा जाए अपनी क्षमताओं को। सवाल जरा मुश्किल है। कहा भी जाता है कि इंसान सबसे ज्यादा उदार तब होता है जब उसे अपनी गलतियों का मूल्यांकन करना होता है। यानी अपनी हर कमी के पीछे वह एक बहाना बना लेता है और फिर तर्क को सबित करने के लिए कई सारे तर्क भी गढ़ लेता है।
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तरक्की के लिए अपनी क्षमताओं को पहचानें
अपने दोस्तों की मदद लें
एक कहावत है कि दोस्त ऐसा होना चाहिए कि जो मुझे मेरी कमियां बताए, न कि मेरी हां में हां मिलाता रहे, यह काम तो मेरी परछाई बेहतर कर सकती है। तो, अपने दोस्तों की मदद लें। उनके विचारों को ईमानदारी से सुनें। आत्मविश्लेषण करें। जाहिर तौर पर आप अपनी कुछ ऐसी खूबियों से परिचित होंगे, जिन्हें आप अभी तक तवज्जोर ही नहीं देते थे।
क्यों नहीं पहचान पाते
आखिर यह अंतर क्यों होता है। हम अपने आपको क्यों नहीं जान पाते। कई बार पूरी कोशिश के बाद भी नतीजे हमारी उम्मीद के मुताबिक नहीं आते। इसका अर्थ यह नहीं कि हम खुद को कम आंकने लग जाएं। असफलता को स्वीपकार करने की कला सीखना भी जरूरी है। और उस असफलता से सीखकर आगे बढ़ना ही हमारा लक्ष्य होना चाहिए। उससे हार मानकर हम स्वयं को कम आंकने लग जाएं यह तो कतई ठीक नहीं होगा।
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सकारात्मक बनें
सकारात्मककता हमें ऊर्जावान बनाए रखती है। हमें असफलता के बीच से सफलता की राह दिखाती है। नकारात्माकता से दूर रहने में ही भलाई है। नकारात्मकता से न केवल हमारी क्षमताओं का ह्रास होता है, बल्कि धीरे-धीरे हम हीन भावना से ग्रस्त होने लगते हैं। आगे बढ़कर चुनौतियां स्वीकार करने की हमारी भावना का ह्रास होने लगता है।
परिवर्तन को तैयार रहें
कुछ लोग परिवर्तन को स्वीकार करने से कतराते हैं। लीक से हटकर सोचना और करना उन्हें पसंद नहीं आता। वह भीड़ का हिस्सा बनना ही पसंद करते हैं। लेकिन, कामयाबी उन्हें मिलती है जो भीड़ से अलग अपना रास्ता् बनाते हैं। बनी बनायी परिपाटी पर चलना उन्हें पसंद नहीं। वह अपने नक्शे कदम खुद बनाते हैं।
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