बच्चों में इस तरह फैलता है चिकनगुनिया का वायरस, जानिये कैसे करें बचाव

डेंगू और चिकनगुनिया खतरनाक बीमारियां हैं। आमतौर पर ये बीमारियां मच्छर के काटने और उनके लारवा से पैदा इंफेक्शन से होती हैं। बच्चों पर इन बीमारियों का असर सबसे ज्यादा होता है क्योंकि बच्‍चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बड़ों के मुकाबले कम होती है।

Anurag Anubhav
Written by: Anurag AnubhavUpdated at: Aug 23, 2019 16:30 IST
बच्चों में इस तरह फैलता है चिकनगुनिया का वायरस, जानिये कैसे करें बचाव

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डेंगू और चिकनगुनिया खतरनाक बीमारियां हैं। आमतौर पर ये बीमारियां मच्छर के काटने और उनके लारवा से पैदा इंफेक्शन से होती हैं। बच्चों पर इन बीमारियों का असर सबसे ज्यादा होता है क्योंकि बच्‍चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बड़ों के मुकाबले कम होती है। इसलिए वे अधिक बीमार पड़ सकते हैं। चिकनगुनिया वायरल की बात करें तो इस वायरल के लक्षण बच्चों में व्यस्कों के मुकाबले अलग होते है। इन लक्षणों को पहचान कर आप बच्‍चे का सही समय इलाज शुरू हो जाए तो उसे परेशानी से बचाया जा सकता है।

कैसे फैलता है बच्चों में चिकनगुनिया

चिकनगुनिया बच्‍चों को ज्‍यादा बुरी तरह प्रभावित करता है। बच्‍चों को इस बीमारी के कारण अधिक परेशानी का सामना करना पड़ता है। उन्‍हें बड़ों के मुकाबले रेशेज होने की आशंका भी अधिक होती है। हालांकि, बड़ों की तरह उन्‍हें जोड़ों में दर्द की दिक्‍कत का सामना नहीं करना पड़ता। हालांकि इस बीमारी से बच्‍चे काफी बुरी तरह प्रभावित होते हैं, लेकिन इससे उनकी मौत की आशंका बहुत ही कम होती है। बच्‍चों को यह बीमारी होने का खतरा इसलिए अधिक होता है क्‍योंकि वे अक्‍सर दिन में भी सोते हैं। ऐसे में वे दिन में काटने वाले मच्‍छरों का आसान शिकार बन सकते हैं। अगर आप अपने बच्‍चे को चिकनगुनिया से बचाना चाहते हैं, तो आपको उन्‍हें मच्‍छरों से बचाने के सभी एहतियाती कदम उठाने होंगे।

0 से 1 साल के बच्चों में लक्षण

इस वर्ग के बच्चों में चिकनगुनिया के लक्षणों को ढूंढना काफी मुश्किल होता है। इस वर्ग के बच्चों में यदि चिकनगुनिया पाया जाता है तो फीवर, कफ और सूजन से ही उसे पहचाना जा सकता है।

1 से 5 साल के बच्चों में लक्षण

इस कैटेगिरी में फीवर और कफ बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। घुटनों में दर्द के साथ ही सूजन भी दिखाई पड़ती है। बच्चों को बहुत ज्यादा सेंसेशन होता है यदि उन्हें छुआ भी जाता है वे बहुत दर्द महसूस करते हैं। अपने स्व‍भाव से अलग व्यवहार करने लगते हैं।

5 से 10 साल के बच्चों में लक्षण

फीवर, कफ और सूजन के साथ ही इस वर्ग के बच्चे बहुत ज्यादा मूवमेंट नहीं कर पाते। उन्हें हाईपर सीजिया हो जाता है। उनके घुटनों में बहुत दर्द रहता है। इस कैटेगिरी के बच्चेम काफी चिड़चिड़े हो जाते हैं। इस वायरल से बच्चों  को कुछ भी खाना अच्छा नहीं लगता।

10 साल से बड़े बच्चों में लक्षण

इस वर्ग के बच्चों को चिकनगुनिया में तेज बुखार हो जाता है। उनकी पाचन क्रिया भी बिगड़ जाती है। बच्चे बिल्कुल भी मूवमेंट नहीं कर पाते। पूरी बॉडी में इन्हें  सूजन आ जाती है।

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खून की जांच से होती है पुष्टि

डॉक्‍टर रोग की पुष्टि करने के लिए रक्‍त जांच कर सकता है। चिकनगुनिया और डेंगू के लक्षण समान होते हैं, इसलिए डॉक्‍टर रक्‍त जांच के बाद ही किसी फैसले पर पहुंच सकता है। और फिर उसी हिसाब से बच्‍चे का इलाज किया जा सकता है।

बच्‍चे को चिकनगुनिया होने पर क्‍या करें

अगर आपके बच्‍चे में चिकनगुनिया के लक्षण नजर आएं, तो उसे तुरंत डॉक्‍टर को दिखायें। यह भी सम्‍भव है कि आपको लक्षण के रूप में केवल रेशेज और बुखार ही नजर आए। हो सकता है कि आपका बच्‍चा छोटा हो और यह बता पाने में असमर्थ हो कि उसे सिर अथवा जोड़ों में भी दर्द हो रहा है। यह भी सम्‍भव है कि वह अपनी तकलीफ को यह प्रकार से बयां न कर पा रहा हो। अगर आपका बच्‍चा थोड़ा बड़ा है, तो आप उससे पूछ सकते हैं कि क्‍या उसे शरीर के किसी अन्‍य अंग में भी दर्द हो रहा है। आपके लिए यह पता लगाना आसान नहीं कि आपकी नन्‍ही सी जान को सामान्‍य बुखार है अथवा चिकनगुनिया। तो, अगर आपको कोई समस्‍या नजर आती है, तो बेहतर यही है कि आप उसे डॉक्‍टर को दिखाएं।

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आसान है इलाज

चिकनगुनिया के लिए कोई विशिष्‍ट दवा नहीं है। लेकिन, बच्‍चे को लक्षणों के आधार पर इलाज दिया जा सकता है। डॉक्‍टर की सुझायी दवा के साथ ही बच्‍चे को पूरा आराम करने दें। उसे पौष्टिक भोजन दें ताकि रोग के कारण शरीर को होने वाली क्षति की भरपायी की जा सके। साथ ही उसके माथे पर गीली पट्टियां अथवा बर्फ लगाते रहें, इससे उसे काफी आराम मिलेगा।

तरल पदार्थ अधिक दें

अपने बच्‍चे के भोजन में तरल पदार्थों की मात्रा अधिक रखें। इससे वह निर्जलीकरण (डिहाइड्रेशन) की समस्‍या से बचा रहेगा। दर्द होने पर उसे दर्द निवारक दी जा सकती है। दवा देते समय बच्‍चे की उम्र का खयाल जरूर रखें। बच्‍चे को एस्प्रिन न दें। इस दवा की ज्‍यादा खुराक बच्‍चे को उल्‍टी की परेशानी दे सकती है। बच्‍चे को सूजन और जलन कम करने की दवायें नहीं दी जानी चाहिए, क्‍योंकि इन दवाओं के प्रभाव के कारण बच्‍चे के रक्‍त में प्‍लेटलेट की संख्‍या कम हो सकती है।
इस बुखार का इंफेक्‍शन लगभग सात दिनों तक रह सकता है। और बीमारी से उबरने में दो हफ्ते लग सकते हैं। लेकिन, जोड़ों में दर्द की परेशानी कई बार महीनों तक रह सकती है। साथ ही आपके बच्‍चे को कई हफ्ते तक थकान का अहसास भी रह सकता है।

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