
ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस या एचआईवी, वह वायरस है जो एड्स का कारण बनता है। एचआईवी संक्रमण से लड़ने की किसी व्यक्ति की क्षमता को कमजोर करता है। यह ज्यादातर असुरक्षित यौन संबंध या निडिल शेयर करने के से फैलता है
ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस या एचआईवी, वह वायरस है जो एड्स का कारण बनता है। एचआईवी संक्रमण से लड़ने की किसी व्यक्ति की क्षमता को कमजोर करता है। यह ज्यादातर असुरक्षित यौन संबंध या निडिल शेयर करने के से फैलता है। इसके लक्षणों में बुखार, सिरदर्द और लिम्फ नोड्स में सूजन आदि शामिल हो सकते हैं।
एचआईवी की जांच के बाद ही इसका निदान किया जाता है। एचआईवी की दवाएं आपको स्वस्थ रहने, इसके प्रसार को रोकने और एड्स की शुरुआत को रोकने या देरी करने में मदद करने के लिए वायरस को दबाती हैं। उपचार के साथ, एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति सामान्य और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। हालांकि एचआईवी या एड्स का पूर्णतया इलाज अभी तक संभव नहीं हो सकता है। इसके उपचार के लिए दुनियाभर के वैज्ञानिक खोज कर रहे हैं।
हाल ही में हुए एक अध्ययन में स्टेम सेल प्रतिरोपण के बाद एड्स के वायरस से छुटकारा पाने का एक और मामला सामने आया है। इससे पहले बर्लिन में भी एक मरीज को एचआईवी वायरस से निजात पा चुका है। 'नेचर' पत्रिका के अनुसार वैज्ञानिकों का कहना है कि एचआईवी संक्रमित व्यक्ति के इससे छुटकारा पाने का पहला और सटीक मामला 10 साल पहले सामने आया था। इसके बाद अब लंदन में यह मामला सामने आया है जिसमें प्रतिरोपण के डेढ़ साल बाद भी व्यक्ति में विषाणु का कोई संकेत नहीं मिला।
एचआईवी संक्रमित रहे ये दोनों मरीज रक्त कैंसर से पीड़ित थे और उनका अस्थि मज्जा प्रतिरोपण किया गया था। उन्हें एक ऐसे दुर्लभ आनुवंशिक उत्परिवर्तन वाले लोगों के स्टेम सेल प्रतिरोपित किए गए जो एचआईवी के प्रतिरोध में सक्षम है।
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कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर रवींद्र गुप्ता और उनकी टीम ने इस बात पर जोर दिया कि अस्थि मज्जा प्रतिरोपण एक खतरनाक एवं कष्टदायक प्रक्रिया है। यह एचआईवी उपचार का व्यावहारिक विकल्प नहीं है, लेकिन स्टेम सेल प्रतिरोपण से एड्स विषाणु से छुटकारा मिलने का दूसरा मामला सामने आने के बाद वैज्ञानिकों को इसका उपचार खोजने में काफी मदद मिल सकती है।
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पीटर डोहर्ती इंस्टीट्यूट फॉर इन्फेक्शन एंड इम्युनिटी के निदेशक शैरोन आर लेविन के मुताबिक, "दूसरा मामला इस विचार को मजबूत करता है कि उपचार संभव है। उपचार के तौर पर अस्थि मज्जा प्रतिरोपण व्यावहारिक नहीं है, लेकिन इससे उपचार की अन्य पद्धति खोजने में मदद मिल सकती है।"
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