
प्रोटीन सिर्फ बॉडी बनाने की चाहत रखने वालों के लिए ही जरूरी नही होता, बल्कि यह खासोआम की जरूरत होता है। प्रोटीन के बिना सम्पूर्ण स्वास्थ्य की कल्पना भी नहीं की जा सकती। प्रोटीन को अपने आहार का हिस्सा बनाइये और स्
प्रोटीन हमारे लिए बेहद जरूरी होता है। यह कोशिकाओं के निर्माण में अहम भूमिका निभाता है। बच्चे, बूढ़े और जवान सबसे लिए प्रोटीन जरूरी होता है। गर्भवती महिलाओं के लिए भी प्रोटीन बहुत जरूरी होता है।
प्रोटीन भोजन का अहम अंग है। समुचित प्रोटीन के बिना किसी भी भोजन को सम्पूर्ण नहीं माना जा सकता। प्रोटीन के बिना हम अपने रोजमर्रा के काम भी पूरे नहीं कर सकते। बच्चों से लेकर बूढ़ों तक हर उम्र के लोगों के लिए बेहद जरूरी होता है प्रोटीन।
प्रोटीन की भूमिका शरीर की टूट-फूट की मरम्मत करना होता है। यह शरीर में कोशिकाओं बनाने में मदद करता है साथ ही हससे टूटे हुए तन्तुओं का पुनर्निर्माण होता है। शरीर के निर्माण में यह अपनी अहम भूमिका निभाता है व पाचक रसों का निर्माण करता है।
प्रोटीन में नाइट्रोजन अधिक मात्रा में रहता है। इसमें कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, गंधक तथा फास्फोरस भी होता है। प्रोटीन दो प्रकार का होता है एक वह जो पशुओं से प्राप्त किया जाता है दूसरा वह जो फल, सब्जियों तथा अनाज आदि से मिलता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक प्रति किलोग्राम वजन के अनुपात से मनुष्य को एक ग्राम प्रोटीन की आवश्कता होती हैं अर्थात् यदि वजन 50 किलो है तो रोज 50 ग्राम प्रोटीन की आवश्यकता होती है।
सर्दियों में लें ज्यादा प्रोटीन
सर्दियों के मौसम में पाचन तंत्र ठीक रहता है इसलिए आप प्रोटीन की अधिक मात्रा ले सकते हैं। गर्मी के मौसम में प्रोटीन की मात्रा कम लेनी चाहिए क्योंकि प्रोटीन में कार्बोज-कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधिक होती है। कार्बोज और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा से शरीर को गर्मी मिलती है जिससे समस्या हो सकती है। इसके अलावा बरसात के मौसम में भी प्रोटीन का प्रयोग सीमित मात्रा में करना चाहिए।
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बच्चों के विकास
बच्चों के विकास में प्रोटीन काफी महत्वपूर्ण होता है। उनके शारीरिक विकास के लिए उन्हें खाने में प्रोटीन लेना जरूरी है। प्रोटीन के अभाव में छोटे बच्चों को सूखा रोग न हो, इसके लिए बच्चे को फलों का रस देना चाहिए।
बुढापे में
बुढ़ापे में शरीर में कई तरह के रोग उभरने लगते हैं। ऐसे में शरीर को प्रोटीन की अत्यधिक आवश्यकता होती है क्योंकि यह एक ऐसी अवस्था होती है जब प्रोटीन जल्दी हजम हो जाता है।इसलिए इस अवस्था में खाद्य पदार्थों में प्रोटीन की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए।
गर्भावस्था में
गर्भावस्था में प्रोटीन की ज्यादा जरूरत होती है। मां के साथ-साथ गर्भ में पल रहे बच्चे को भी प्रोटीन की अत्यधिक आवश्यकता होती है। प्रोटीन से बच्चे की शरीरिक रचना का विकास होता है। प्रोटीन की कमी इस अवस्था में मां और गर्भ में पल रहे बच्चे के स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकती है।
रोगियों के लिए
किसी बीमारी से लड़ने के बाद रोगी का शरीर काफी कमजोर हो जाता है। रोगी के शरीर के तंतु, कोशिकाओं आदि को काफी नुकसान होता है उन्हें स्वस्थ करने के लिए प्रोटीन की जरूरत होती है। अगर रोगी का खानपान सही नहीं हुआ तो वो फिर से बीमार हो सकता है।
प्रोटीन के स्रोत
दूध, दही, अंडे की सफेदी, पनीर, मांस, मछली, इडली-डोसा, दाल, चावल, सोयाबीन, मटर, चना, मूंगफली, अंकुरित पदार्थों में प्रोटीन अधिक मात्रा में पाया जाता है।
अपने आहार में प्रोटीन की संतुलित मात्रा जरूर शामिल करें। इसके बिना आपको जरूरी पोषण नहीं मिल सकता। प्रोटीन की कमी से आपको कई रोगों और अनियमितताओं का सामना करना पड़ सकता है।
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