
मधुमेह के जोखिम वाले लोगों को अपने आहार में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा पर ध्यान देना चाहिए, खासतौर पर चावल पर, यदि वे व्हाइट की जगह ब्राउन राइस का सेवन करें तो डायबिटीज से बचव में मदद मिलती है।
हाल ही में आई एक रिपोर्ट के अनुसार सफेद चावलों की तुलना में ब्राउन राइस कहीं ज्यादा फायदेमंद होते हैं। इन चावलों डायबिटीज के खतरे को भी काफी कम करते हैं। तो अगली बार जब आज चायनीज रेस्तरां में जाएं और फ्राइड राइस ऑर्डर करें तो सफेद राइज के बजाय ब्राउन राइस ऑर्डर करें। तो चलिये जानें कि क्यों ब्राउन राइस, व्हाइट राइस की तुलना में बेहतर और लाभदायक हैं।
अध्ययन के प्रमुख लेखक व बोस्टन, मेसाचुसेट्स स्थित हार्वर्ड स्कूल ऑफ़ पब्लिक हेल्थ में नुट्रिशन रिसर्चर डॉ क्यूई सन कहते हैं कि मधुमेह के जोखिम वाले लोगों को अपने आहार में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा पर ध्यान देना चाहिए और परिष्कृत कार्बोहाइड्रेट को साबुत अनाज से बदल देना चाहिए।
दरअसल डायबिटीज के रोगियों के लिये खाने पीने में बड़ी समस्या होती है। लेकिन इनके लिये ब्राउन राइस को बहुत अच्छा माना जाता है। मगर समस्या ये है कि अमूमन हमें यह नहीं मालूम होता कि ब्राउन राइस को अपनी डेली डाइट में कैसे व्हाइट राइस को कम कर ब्राउन को शामिल किया जाए। ब्राउन राइस में फ्राइबर होता है जो डायबिटीज के साथ-साथ कैंसर के खतरे को कम करता है और अतिरिक्त वजन को भी कम करता है। ब्राउन राइस को बिना पॉलिश का चावल भी कहाते हैं। ब्राउन राइस को व्हाइट राइस की तरह प्रोसेस नहीं किया जाता बल्कि सिर्फ बाहरी छिलके उतारे जाते हैं। इसलिये चावल में मौजूद भूसी वैसी की वैसी ही रहती है। ब्राउन राइस में प्रचुर मात्रा में फाइबर, विटामिन और मिनरल होते हैं। ब्राउन राइस में लगभग 300 एन्जाइम्स होते है जो शरीर में ग्लूकोज और इंसुलिन की मात्रा को बनाएं रखते है। तो यदि आप चाहते हैं कि आपका कॉलेस्ट्रॉल लेवल सही बना रहे तो सफेद चावल की जगह ब्राउन राइस खाने की आदत डालें।
डॉ सन और उनके सहयोगियों के अनुमान के अनुसार यदि आप हर सप्ताह सफेद चावल के दो सामान्य सर्विंग्स खाते हैं, तो सफेद चावलों की जगह ब्राउन राइस खाना शुरू करने से टाइप 2 मधुमेह का खतरा 16 प्रतिशत तक कम होता है। और वहीं यदि आप इन सफेद चावल की सर्विंग की जगह साबुत अनाज खाएं तो टाइप 2 मधुमेह का खतरा 36 प्रतिशत तक कम होता है।
भारत में हुए एक और ट्रायल के दौरान अधिक वजन / मोटापे से ग्रस्त व्यक्तियों में जब सफेद चावल के सेवन की तुलना ब्राउन राइस से की गई तो, पाया गया कि इन लोगों में सफेद की जगह ब्राउन का सेवन करने से ग्लूकोज का स्तर और सीरम इंसुलिन में कभी आई।
ये निष्कर्ष मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन व वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन कलबोरटिवे सेंटर फॉर नॉन-कम्युनिकेबल डिसऑर्डर्स, चेन्नई, भारत शाखा के वी मोहन (एमडी) द्वारा, इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन वर्ल्ड डायबिटीज कांफ्रेंस 2013 में सूचित कराया गया। उनके अनुसार व्हाइट राइस की जगह ब्राउन राइस के सेवन से ग्लूकोज 20 प्रतिशत तथा इंसुलिन में 60 प्रतिशत की कटौती होती है।
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