
शादी की तारीख तय हो गई है और कार्ड भेजे जा चुके हैं लेकिन आप अभी भी बुरी तरह से डर रहे हैं। इस तरह से नर्वस होना स्वाभाविक है क्योंकि आप नही जानते कि आपके लिए भविष्य के पिटारे में क्या है। भविष्य अनिश्चित लगता है और यह पूरी तरह से एक बड़ा कदम प्रतीत होता है।
पिछले बुरे अनुभवों के कारण होने वाला डर
लोग पिछले बुरे अनुभवों या शादी से दुखी दूसरे लोगों को देखकर डरते हैं। चिन्ताजनक रूप से बढ़ते तलाक के मामलों और विवाहेत्तर सम्बन्धों की वजह से कोई भी शादी करने से डर सकता है। शादी के मामले में नकारात्मक न बनें अगर आप दोनों के मूल्यों और आचार-विचार समान हैं। शादी में दोनों पार्टनर की ओर से समझौते और समन्वय की ज़रूरत होती है। अपने भय और सन्देह की चर्चा अपने पार्टनर से करें और एक साथ मिलकर उनका समाधान करें बहुत सम्भव है कि शायद आप दोनो एक जैसी भावनाएं महसूस कर रहे हों।
विश्वास की बात
अक्सर एक ब्रेकअप के बाद लोगों के मन में विश्वास डगमगाने लगता हैं। वे पुराने रिश्ते से इतने टूटे हुए होते हैं कि नए रिश्ते, नई दुनिया में कदम रखने से डरते हैं। और वैसे भी, यहां तो बात पूरी जिंदगी की है।
अपनी चीजें शेयर करने का डर
अक्सर अपनी चीजें भाई बहनों से शेयर करते वक्त कितना झगड़ा होता था, पर शादी के बाद मजबूरन हर चीज अपने लाइफ पार्टनर से शेयर करनी होगी, चॉकलेट्स और ड्रिंक्स भी। यहां तक कि खाना भी पार्टनर की पसंद को ध्यान में रखकर ऑर्डर करना होगा।
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ज़िम्मेदारियों का बोझ
आज भी ऐसे लड़के-लड़कियों की कमी नहीं है, जो घर-परिवार से जुड़ी ज़िम्मेदारियों से भागते फिरते हैं। इस तरह के लोगों को यह डर बराबर सताता रहता है कि शादी के बाद पार्टनर की, फिर बच्चों की, उसके बाद उनकी पढ़ाई-लिखाई, परवरिश… यानी कभी न ख़त्म होनेवाला ज़िम्मेदारियों का सिलसिला।
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सुख-दुख में एक दूसरे के साथी बनें
वास्तव में शादी सम्बन्धों का "आधार" है और इसमें भविष्य से जुड़े भय होना स्वाभाविक है। पार्टनर के साथ चर्चा करके और हमेशा एक-दूसरे का सहयोग करते हुए अपना डर दूर करें।
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