
प्लेसेंटा प्रिविआ की समस्या को विस्तार से जानने व इसके संभावित खतरों का समझने के लिए पढ़ें ये लेख। इस समस्या से किस प्रकार बचा जा सकता है यह भी जानें।
प्लेसेंटा प्रिविआ कोई सामान्य चिकित्सीय स्थिति नहीं है। यह प्रत्येक दो सौ गर्भवती महिलाओं में से एक को होता है। प्लेसेंटा किसी तरह की कोई बीमारी नहीं है। यह अंगों की एक स्थिति मात्र है जिसे सामान्य स्थिति में बदला जा सकता है। इस अवस्था में किसी तरह का इलाज काम नहीं आता है सिर्फ कुछ स्थितियों के जरिए इसे ठीक किया जा सकता है।
अगर किसी गर्भवती महिला में प्लेसेंटा प्रिविआ का निदान किया जाता है तो इसका अर्थ यह है कि उसका प्लेसेंटा (नाल) अपनी जगह से खिसक कर सर्विक्स के निचले हिस्से में पहुंच गया है, जिसके कारण डिलवरी में समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
सामान्य अवस्था में प्लेसेंटा की वास्तविक जगह गर्भाशय के पास ऊपर की तरफ होती है। प्लेसेंटा का मुख्य रोल विकसित भ्रूण को पोषण देना होता है। प्लेसेंटा प्रिविआ की स्थिति में, प्लेसेंटा शिफ्ट होकर गर्भाशय के पास पहुंच जाता है और कुछ मामलों में यह सर्विक्स को ढंक देता है जिससे डिलवरी के समय काफी समस्याएं आती हैं। यह स्थिति मां व होने वाले बच्चे दोनों के लिए जानलेवा हो सकती है।
संभावित खतरे
प्लेसेंटा प्रिविआ के कारण गर्भावस्था के दौरान खतरनाक समस्याएं पैदा हो सकती है जिससे मां व होने वाले बच्चे को जान का खतरा हो सकता है। अगर किसी गर्भवती महिला को प्लेसेंटा प्रिविआ के साथ प्रकृतिक प्रसव पीड़ा हो रही है तो ब्लीडिंग व ज्यादा खून बहने के कारण मां की जान को खतरा हो सकता है। कई बार गर्भावस्था के दूसरे ट्राईमेस्टर में ब्लीडिंग के कारण सिजेरियन भी करना पड़ता है। ऐसे में होने वाले बच्चे की जान को खतरा होता है क्योंकि वो अभी पूर्ण रुप से विकसित यानि जन्म के लिए तैयार नहीं होता है। इसलिए डॉक्टर गर्भावस्था के दौरान अकसर महिलाओं को जांच के लिए बुलाते हैं जिससे इस तरह की समस्या का पता शुरुआती अवस्था में लग जाए।
जोखिम कारक
- धूम्रपान व नशे का सेवन।
- 35 साल के बाद गर्भवती होना।
- अगर पहले सिजेरियन हो चुका है।
- गर्भाशय की सर्जरी।
- पहले चार बार डिलवरी हो चुकी है।
बचाव
अगर प्लेसेंटा प्रिविआ की समस्या गंभीर नहीं है तो इसे घर पर बेड रेस्ट के जरिए ठीक किया जा सकता है। इस तरह से प्लेसेंटा प्रिविआ के गंभीर परिणामों जैसे ब्लीडिंग की समस्या से बचा जा सकता है। इस समस्या से प्रभावित महिला को ज्यादा से ज्यादा समय आराम करने की सलाह दी जाती है। ऐसे मामलों में डॉक्टर डिलवरी तक व्यायाम, काम व सेक्स की सलाह नहीं देते हैं। अगर ब्लीडिंग ज्यादा होता है तो गर्भवती महिला को अस्पताल में डॉक्टर की निगरानी में रखा जाता है। कभी-कभी समय से पहले प्रसव के खतरे को दूर करने के लिए चिकित्सीय मदद ली जाती है। जिन महिलाओं को प्लेसेंट प्रिविआ की समस्या होती है, उनमें ब्लड लॉस की समस्या से बचने के लिए बच्चे का जन्म सिजेरियन के जरिए होता है।
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