
तनाव दूर करने के लिए म्यूजिक एक सबसे अच्छा विकल्प है।
आजकल की लाइफस्टाइल में लोगों का तनावग्रस्त होना आम बात है। तनाव से राहत पाने के लिए योग, ध्यान और शॉपिंग से लेकर तमाम तरह के उपाय मौजूद है। लेकिन इसके साथ ही म्यूजिक के रूप में एक और कारगर और ‘मनोरंजक’ उपाय भी है।
लोग तनाव से बाहर आने के लिए म्यूजिक का सहारा लेते हैं। म्यूजिक आपका ध्यान तनाव से हटाकर दूसरी ओर ले जाता है। म्यूजिक सुनने से तनाव के साथ ही अन्य कई विकारों से भी राहत मिलती है। जब संगीत सुन रहे होते हैं तो आप दुनिया भर की तमाम बातों को भूलकर उसमें खो जाते हैं इससे आपके दिमाग के साथ मन को भी शांति मिलती है। इतना ही नहीं म्यूजिक अनिद्रा, ब्लड प्रेशर, अवसाद आदि में भी राहत प्रदान करता है। तनाव हमारे भीतर नकारात्मक विचारों को बढ़ाता है। म्यूजिक इन्हीं नकारात्मक विचारों को मिटाकर हमें आत्मविश्वास से लबरेज करता है। नतीजा- हम अच्छा महसूस करने लगते हैं। आइए जानें म्यूजिक कैसे तनाव को कम करता है।
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- जब आपको नींद नहीं आ रही हो तो संगीत सुनिए। जब कभी आप लेटते हुए हल्का संगीत सुनते हैं तो यह दिमाग को रिलैक्स करता है। धीरे-धीरे अनिंद्रा दूर हो जाती है। ऐसा संगीत दिमाग को सुकुन पहुंचाता है और आप टेंशन फ्री हो जाते हैं।
- म्यूजिक सुनने से नर्वस सिस्टम ठीक रहता है साथ ही आपकी एकाग्रता भी बढ़ती है।
- म्यूजिक से नकारात्मक विचारों पर काबू पाया जा सकता है।
- म्यूजिक से मनोरंजन के साथ साथ तनाव और कई मानसिक विकारों को भी दूर किया जा सकता है।
- म्यूजिक थेरेपी के जरिए लोग कई रोगों से मुक्ति पा सकते हैं। इस थेरेपी में संगीत के जरिए लोगों को तनाव मुक्त किया जाता है। शुरुआत में हो सकता है इसका फायदा नहीं दिखे लेकिन धीरे धीरे इसका सकारात्मक परिणाम देखने को मिलता है।
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- भागदौड़ भरी जिदंगी में लोगों को कई प्रकार की मानसिक परेशानियों, तनाव और अन्य समस्याओं से जूझना पड़ता है और संगीत इन सबसे उबरने में उनकी मदद करता है।
- म्यूजिक थेरेपी के तहत व्यक्ति के स्वभाव, उसकी समस्या और आसपास की परिस्थितियों के मुताबिक संगीत सुना कर उसका इलाज किया जाता है।
- म्यूजिक थैरेपी से महिलाओं को काफी फायदा होता है क्योंकि उनको घर के साथ कार्यालय की जिम्मेदारी भी संभालनी होती है. काम का बोझ बढ़ता है तो उन पर तनाव हावी हो जाता है।
- कई बार लोग इतने तनाव में होते हैं कि संगीत सुनने के दौरान वे रोने लगते हैं लेकिन बाद में वे हल्का महसूस करते हैं। जब व्यक्ति में नकारात्मकता का स्तर बहुत बढ़ जाता है तो ऐसे में अकेले में जाकर रोना बहुत जरूरी होता है।
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