
कोरोनरी धमनी रोग (सीएडी) या कोरोनरी हृदय रोग (सीएचडी) एक गंभीर अवस्था है। इसमें हृदय को ऑक्सीजन और पोषक तत्वों युक्त रक्त पहुंचाने वाली धमनियां क्षतिग्रस्त या रोगग्रस्त हो जाती हैं। कई बार इनमें प्लाक भी बन जाता है। धमनियों पर कोलेस्ट्रॉल युक्त जमी यह पट्टिका (प्लाक) कोरोनरी धमनी को रोगग्रस्त कर देती है।
प्लाक के कारण कोरोनरी धमनियां सिकुड़ जाती हैं। जिसके चलते हृदय को कम मात्रा में रक्त प्राप्त होता है। अंततः कम रक्त प्रवाह होने के कारण सीने में दर्द (एनजाइना) हो सकता है या अन्य कोरोनरी धमनी की बीमारी के संकेत और लक्षण पैदा हो सकते हैं। प्लाक के कारण कोरोनरी धमनियों में एक पूर्ण रुकावट दिल के दौरे का कारण बन सकती है।
कोरोनरी हृदय रोग को विकसित होने में अक्सर दशकों लग जाते हैं। हो सकता है कि हार्ट अटैक होने तक इस समस्या पर आपका ध्यान ही न जाए। लेकिन, आप कोरोनरी धमनी की बीमारी को रोकने और इसका इलाज करने के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं। एक स्वस्थ जीवन शैली के लिए प्रतिबद्ध होकर आप इस ओर अपना पहला कदम बढ़ा सकते हैं। पूरी दुनिया में सीएचडी बहुत ही आम हृदय रोग और मृत्यु का एक प्रमुख कारण है। इस रोग के कई जोखिम कारक (रिस्क फैक्टर) हैं जो एक दूसरे से जुड़े हैं।
कोरोनरी हृदय रोग के कुछ मुख्य कारण हो सकते हैं
धूम्रपान
धूम्रपान करने से सीएडी का खतरा अधिक हो जाता है। जो व्यक्ति धूम्रपान करते हैं उन्हें धूम्रपान न करने वालों की तुलना में हृदय रोग होने का खतरा ज़्यादा होता है। नियमित व्यायाम, मजबूत इच्छाशक्ति से धूम्रपान करने वाले लोग इस आदत को कम या रोक सकते हैं। या आप धूम्रपान की लत से छुटकारा पाने के लिए डॉक्टरी सलाह व मदद भी ले सकते हैं। धूम्रपान छोडने मात्र से ही हृदय सम्बन्धित रोगों की सम्भावना काफी हद तक कम हो जाती है।
उच्च रक्तचाप
उच्च रक्तचाप भी कोरोनरी हृदय रोग की संभावनाओं को बढ़ा देता है। नियमित व्यायाम से रक्तचाप को नियंत्रित कर सकते हैं। किसी काम या मेहनत वाली गतिविधि के दौरान हृदय की मांसपेशियां शरीर की ऑक्सीजन की मांग के अनुसार तेजी से धड़कने लगती हैं। रक्त वाहिकाओं, जो दिल को ऑक्सीजन युक्त रक्त की आपूर्ति करती हैं, भी लचीली हो जाती हैं और बेहतर तरीके से फैलने में सक्षम होती हैं, जिससे रक्त वाहिका अच्छे से कार्य करती है और उच्च रक्तचाप की संभावना कम हो जाती है। यदि नियमित रूप से व्यायाम किया जाए तो कम तथा अधिक रक्तचाप वाले लोगों के सिस्टोलिकऔर डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर सामान्य हो सकता है।
डायस्लीपिडिमियामोटापा
यह रक्त लिपिड और लेपोप्रोटीन सांद्रता में असामान्यताएं को दर्शाता है। अगर कम घनत्व लेपोप्रोटीन (एलडीएल) अर्थात खराब कोलेस्ट्रॉल, 130 एसजी/डीएल से अधिक या उच्च घनत्व (एचडीएल) लेपोप्रोटीन,जो अच्छे कोलेस्ट्रॉल है, 40 एमजी/डीएल से कम हो या कुल कोलेस्ट्रॉल 200 एमजी/डीएल से अधिक हो तो सीएडी का खतरा बढ़ जाता है। व्यायाम से एचडीएल बढ़ता है और एक कम वसा वाले पौष्टिक आहार के साथ यह एलडीएल को कम करता है
अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त होने का सीएचडी के सभी अन्य जोखिम वाले कारकों के साथ सीधा संबंध है। जिन लोगों के पेट पर चर्बी अधिक होती है, उन्हें इसका खतरा अधिक होता है। व्यायाम अतिरिक्त कैलोरी को कम करने में मदद करता है। नियमित व्यायाम से पूरे शरीर की वसा कम होती है और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। पेट पर कम वसा सीएचडी सहित डायस्लिपिडेमिया, टाईप 2 डीएम और उच्च रक्तचाप के जोखिम कारकों को कम करने में मदद करता है। पौष्टिक आहार और नीयमित व्यायाम दोनों साथ कर आप शरीर की अतिरिक्त वसा कम करने और एक स्वस्थ वजन बनाए रखने में सफल होंगे।
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