
जब आपको गर्भावस्था के संकेत दिखाई दे तो आप पहले घर में ही प्रगनेंसी टेस्ट किट से टेस्ट कर लें। जानें कब करें गर्भावस्था परीक्षण।
मासिक धर्म बंद होने के अगले दिन गर्भावस्था परीक्षण किया जा सकता है। इस दौरान टेस्ट के ज्यादा सटीक परिणाम आने की उम्मीद होती है। सुबह खाली पेट यह टेस्ट करना ज्यादा अच्छा होता है।
गर्भावस्था की जांच के लिए बाजार में अलग-अलग ब्रांड्स व प्रकार की गर्भावस्था जांच किट मौजूद हैं, लेकिन अधिक सटीक परिणामों के लिए सही किट का चुनना बेहद जरूरी है। हालांकि आप संतुष्टी के लिए डॉक्टर से भी इसका परिक्षण करा सकते हैं। आमतौर पर गर्भावस्था परीक्षण कुछ खास लक्षणों के देखे जाने पर किया जाता है। ये लक्षण कुछ निम्न प्रकार से हैं।
किट हो अच्छी
गर्भावस्था टेस्ट के लिए अच्छी किट का प्रयोग कीजिए। अक्सर गलत किट का प्रयोग करने के कारण प्रेग्नेंसी टेस्ट की सही जानकारी नहीं मिल पाती। अगर आपको कोई हार्मोन से संबंधित बीमारी है और आपका पीरियड समय पर नही आ रहा है तो किट के नतीजों पर भरोसा करने से अच्छा रहेगा कि एक बार चिकित्सीय सलाह ले ली जाए।
प्रेग्नेंसी टेस्ट किट यूरीन में एचसीजी (हृयूमन कोरियानिक गैनाडोट्रॉपिन) हार्मोन को डिटेक्ट करता है। इस किट के जरिए बड़ी आसानी से आप प्रेग्नेंसी का पता लगा सकती हैं। आइए हम आपको बताते हैं कि कब गर्भावस्था का परीक्षण करना चाहिए।
गर्भावस्था परीक्षण करने का समय
मासिक धर्म में देरी होना
हर स्वस्थ स्त्री को हर महीने निश्चित समय पर या उसके आसपास मासिक धर्म होता है, लेकिन गर्भधारण करते ही मासिक धर्म आना बंद हो जाता है। यदि आपका मासिक धर्म समय पर नही आया है तो यह गर्भावस्था का लक्षण है।
यूरीनेट करने में पेरशानी
गर्भावस्था के दौरान रक्त परिसंचरण की मात्रा और गुर्दे की गतिविधियों में वृद्धि हो जाती है, जिसके कारण ज्यादा पेशाब बाहर आता है। रात में या लेटने के दौरान बार-बार मूत्र त्यागने की इच्छा होती है। गर्भवती महिलाओं का गर्भाशय, मूत्राशय पर दबाव डालता है, जिससे की यूरीन की आवृत्ति बढ़ जाती है।
अधिक संवेदनशील स्तन
प्रेग्नेंट होने के बाद स्तन अधिक संवेदनशील हो जाते हैं। इसे गर्भावस्था का पहला संकेत माना जा सकता है। गर्भावस्था के दौरान स्तनों में दर्द होने लगता है। हालांकि ये दर्द माहवारी से पहले भी होता है, लेकिन यह स्थिति गर्भावस्था के दौरान अधिक होती है।
व्यवहार में परिवर्तन
महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान कई हार्मोनल परिवर्तन होते हैं। इसका असर उनके व्यवहार पर भी पड़ता है। कभी महिला के अंदर ज्यादा चिड़चिड़ापन आ जाता है और फिर सामान्य स्थिति आ जाती है। इस तरह के लक्षण उसके गर्भवती होने की ओर इशारा करते हैं।
डार्क एरोलस
गर्भावस्था के दौरान एस्ट्रोजन और प्रीजेस्टेरोन का स्तर बढ़ जाता है जिससे पिगमन्टेंशन हो जाते है। यह परिवर्तन गर्भावस्था के दौरान रक्त परिसंचरण वृद्धि के कारण होता है, इससे स्तनों के एरोलस भी डार्क हो जाते है। ऐसी स्थिति होने पर आप प्रेग्नेंसी टेस्ट कर सकते हैं।
मार्निंग सिकनेस
गर्भवस्था के दौरान सुबह-सुबह कमजोरी का आभास होता है। अगर आपको मार्निंग में कमजोरी का एहसास हो रहा है और साथ ही जी भी मिचला रहा है तो आप प्रेग्नेंट हैं। ऐसे लक्षण अगर आपको दिखें तो प्रेग्नेंसी टेस्ट कीजिए।
बेसल तापमान में वृद्धि
गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल परिवर्तन होते हैं। बेसल तापमान में वृद्धि के साथ शरीर का तापमान सामान्य से ज्यादा हो जाता है। जिसके कारण कभी-कभी सामान्य से अधिक पसीना आने लगता है। ऐसे सिंप्टम्स दिखने पर आप प्रेग्नेंसी टेस्ट किट का इस्तेमाल कर सकते हैं।
सिरदर्द होना
गर्भावस्था के दौरान सिरदर्द बहुत आम ह और यह गर्भाधान के साथ ही शुरू हो जाता है। हार्मोंस के निरंतर बदलाव के कारण तनाव होने लगता है जिससे कुछ महिलाओं को सिर दर्द की शिकायत होने लगती है।
इस प्रकार से यदि आपने मासिक धर्म नही आए है और आपको जी मिचलाना, स्तनों में भारीपन, थकान आदि ऊपर दिए हुए लक्षण है, तो ये वास्तव में गर्भावस्था के प्रारंभिक लक्षण हो सकते है। ऐसे में आप प्रेग्नेंसी टेस्ट किट का प्रयोग करें।
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