
कानों में सीटी की आवाज तो हो सकता है बहरापन: कानों में सीटी की आवाज तो हो सकता है बहरापन, जानें कैसे इस लेख में। बहरापन क्यों होता है। जानें कैसे इस लेख में।
अगर आपको अचानक कानों में सीटी की आवाज सुनाई दे या फोन पर बात करते समय साफ सुनाई न दे, तो इस समस्या को हल्के में ना लें।
क्योंकि यह कानों की एक बीमारी एकॉस्टिक न्यूरोमा हो सकती है। और इसके लक्षणों को नजरअंदाज करने का नतीजा बहरेपन हो सकता है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के पूर्व निदेशक और ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. एसके कक्कड़ के अनुसार एकॉस्टिक न्यूरोमा वास्तव में एक ट्यूमर होता है पर इससे कैंसर नहीं होता। लेकिन यह सुनने की क्षमता को कमजोर कर देता है। इसके और भी कई गंभीर नतीजे हो सकते हैं। समस्या यह होती है कि इसके लक्षण बहुत धीरे-धीरे सामने आते है। जिससे इस बीमारी का समय पर पता ही नहीं चल पाता।
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एम्स के ही पूर्व ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. बीएम अबरोल ने बताया हमारे मस्तिष्क से निकल कर आठवीं क्रेनियल तंत्रिका कान के अंदरूनी हिस्से तक जाती है। आठवीं और सातवीं क्रेनियल तंत्रिका एक-दूसरे से सटी होती हैं। आठवीं क्रेनियल तंत्रिका पर बनने वाला ट्यूमर ही एकॉस्टिक न्यूरोमा कहलाता है। यह आठवीं क्रेनियल नर्व की शाखा वेस्टीबुलर तक भी पहुंच जाता है जिसकी वजह से इसे वेस्टिबुलर श्वेनोमा भी कहते हैं।
मेदान्ता मेडिसिटी के ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. केके हांडा ने बताया इस ट्यूमर के विकसित होने में कई बार सालों लग जाते हैं। इसकी वजह से सुनने की क्षमता में बुरा प्रभाव पड़ता है। फोन पर या नियमित बातचीत सुनाई नहीं देती। कभी-कभी अचानक कान में सीटी जैसी आवाज सुनाई देती है। लेकिन आमतौर पर लोग इन लक्षणों को गंभीरता से नहीं लेते। यही एकॉस्टिक न्यूरोमा की शुरुआत होती है। अगर शुरू में ही इस समस्या का पता चल जाए तो इसका इलाज आसानी से हो सकता है।
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डॉ. अबरोल के अनुसार कुछ मरीजों में यह समस्या तेजी से बढ़ती है। एकॉस्टिक न्यूरोमा की वजह से ऐसा लगता है जैसे चक्कर आ रहे हों या चलते समय अचानक कदम लड़खड़ा रहे हों। अगर एकॉस्टिक न्यूरोमा बहुत बढ़ जाए तो इसके फलस्वरूप चेहरे पर लकवा भी हो सकता है। चूंकि यह आठवीं क्रेनियल तंत्रिका में होता है तो अपने आसपास की उन अन्य क्रेनियल तंत्रिकाओं और रक्त वाहिनियों को भी यह प्रभावित करता है जो मस्तिष्क को रक्त पहुंचाती हैं या मस्तिष्क तक जाती हैं। सातवीं क्रेनियल तंत्रिका का संबंध चेहरे की मांसपेशियों से होता है। यह तंत्रिका अगर एकॉस्टिक न्यूरोमा के ट्यूमर से प्रभावित हो जाए तो फेशियल पैरालिसिस या फेशियल पाल्सी जैसी समस्या हो सकती है। इससे मांसपेशियां क्षतिग्रस्त हो सकती हैं, आंसू और नाक में एक द्रव का लगातार उत्पादन होता है और जीभ की स्वाद ग्रंथियां भी प्रभावित हो जाती हैं।
पांचवीं क्रेनियल नर्व अगर एकॉस्टिक न्यूरोमा से प्रभावित हो जाए तो चेहरे की मांसपेशियों में तीव्र दर्द होता है और यह समस्या ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया कहलाती है।
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