
शिशु की उचित देखभाल के लिए जरूरी है कि मां उनकी हर जरूरत को पहचानें। छोटे बच्चे रो कर अपनी जरूरतों के बारे में बताते हैं इसलिए हर मां के लिए अपने शिशु की आदतों को जानना और समझना जरूरी है।
जन्म के बाद नवजात शिशु अपनी मां की गोद में खुद को सबसे ज्यादा सुरक्षित महसूस करता है लेकिन कभी-कभी मां के मन में इस बात को लेकर आत्मविश्वास की कमी दिखाई देती है कि वह अपने बच्चे का पालन-पोषण सही ढंग से कर रही हैं या नहीं? क्योंकि बच्चे का पहला साल ऐसा होता है, जिसमें उसकी विशेष देखभाल की जरूरत होती है। इस उम्र में बच्चे को दूध पिलाने, उसे नहलाने, मालिश और उसकी नैपी बदलते समय काफी सावधानी बरतनी पड़ती है ताकि आपका बच्चा हमेशा स्वस्थ रहे और हंसता-खिलखिलाता रहे। शिशु की उचित देखभाल के लिए जरूरी है कि मां उनकी जरूरत को पहचानें। छोटे बच्चे रो कर अपनी जरूरतों के बारे में बताते हैं ऐसे में जरूरी है कि आप अपने शिशु की आदतों को जानें।
बार-बार रोने का इशारा समझें
नवजात शिशुओं में यह बात स्वाभाविक होती है कि वे आपका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए बार-बार रोते हैं। दरअसल शिशु रोकर ही आपके साथ अपना संवाद स्थापित करता है और इस उम्र के बच्चे में इतनी समझ नहीं होती कि वह अपनी जरूरतों की प्राथमिकता को पहचान सके। इसलिए उसे जब भी कोई बात नापसंद होती है तो वह सिर्फ रोता है। आमतौर पर जब भी बच्चे को भूख लगती है, उसकी नैपी गीली होती है, जब वह कोई नया चेहरा देखता है, जब कोई नई आवाज सुनता है, जब उसे बड़ों द्वारा गोद में उठाए जाने की मुद्रा पसंद नहीं आती या फिर उसे कोई भी बात नापसंद होती है तो वह रोकर ही अपना विरोध प्रदर्शित करता है। कभी-कभी बच्चे थकान की वजह से भी रोते हैं।
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अगर बच्चा रात में अचानक रोने लगे
अगर आपका बच्चा गहरी नींद से चौंक कर जागने के बाद रोने लगे तो सबसे पहले आप उसकी नैपी चेक करें कि कहीं वह गीलेपन की वजह से तो नहीं रो रहा। फिर आप उसकी गर्दन छूकर देखें कि कहीं उसकी गर्दन से पसीना तो नहीं आ रहा क्योंकि कई बार बच्चे गर्मी की वजह से भी रोते हैं। ये कुछ ऐसे सामान्य कारण हैं, जिन्हें आप आसानी से पहचान कर यह अंतर समझ सकती हैं कि आपका बच्चा किस कारण से रो रहा है।
जन्म के बाद शुरुआती छह महीने में बच्चे बहुत जल्दी-जल्दी नैपी गीला करते हैं। इसलिए इस उम्र में हर-एक घंटे के बाद बच्चे की नैपी को चेक करके जरूर बदलना चाहिए। थोड़ी-थोड़ी देर में बच्चे की नैपी बदलना भले ही थका देने वाला काम है पर बच्चे को नैपी रैशेज से बचाने के लिए ऐसा करना बहुत जरूरी है। नैपी बदलने से पहले आप साफ नैपी, कॉटन वूल और बैरियर क्रीम ये सारी जरूरी चीजें बच्चे के पास रख लें, उसके बाद ही बच्चे की नैपी बदलें। नैपी बदलते समय आप इन बातों का ध्यान रखें।
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मालिश के समय याद रखें ये बातें
मालिश से न केवल बच्चे के शरीर को आवश्यक पोषण मिलता है बल्कि उसके शरीर की कसरत भी होती है। साथ ही मां के हाथों का प्यार भरा स्पर्श बच्चे को सुरक्षा का अहसास दिलाता है। इसलिए बच्चे के लिए मालिश बहुत जरूरी है और रोजाना बच्चे को नहलाने से पहले उसकी मालिश जरूर करनी चाहिए। बच्चे की मालिश करने का सबसे सही तरीका यह है कि आप जिस कमरे में बच्चे की मालिश करने जा रही हैं, उसकी खिड़कियां और दरवाजे अच्छी तरह बंद कर दें ताकि बाहर की हवा से बच्चे को ठंड न लगे। फिर आप अपने पैर फैलाकर बच्चे को अपने दोनों पैरों के बीच लिटाएं और अपने हाथों में बेबी ऑयल लगा कर बच्चे की मालिश शुरू करें।
मालिश की शुरुआत हमेशा बच्चे के पैरों से करें। फिर हलके हाथों से उसके पेट और छाती की मालिश करें। उसके बाद बच्चे को पेट के बल उलटा लिटाकर उसकी पीठ और कमर की मालिश करें और सबसे अंत में बच्चे के सिर की मालिश करें। हर मौसम में बच्चे की मालिश करने के बाद उसे प्रतिदिन नहलाना चाहिए। बच्चे को नहलाने के लिए पहले उसके नहाने से संबंधित सारा जरूरी सामान जैसे बेबी सोप, शैंपू, तौलिया, बच्चे के कपड़े और बाथ टब को एक जगह एकत्र करके फिर बच्चे को नहलाना शुरू करना चाहिए। बच्चे को नहलाने के लिए गुनगुने पानी का इस्तेमाल करना चाहिए।
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